ब्रज के पर्वतों पर हो रहे विनाशकारी खनन के खिलाफ साधू-संतों व ग्रामीणों का धरना 37वें दिन भी जारी
डीग (भरतपुर, राजस्थान/ पदम जैन) आदिबद्री व कंकाचल पर्वतीय क्षेत्र में हो रहे विनाशकारी खनन के विरोध में ग्राम पसोपा में अनिश्चतकालीन धरने के 37वे दिन रविवार को 22 गावों की सरदारी ने धरना स्थल पर ब्रज के पर्वतों के सरंक्षण के लिए प्रदेश भर के चारागाह वर्ग के गुर्जर गड़रिया आदि जातियों के लोगो को ब्रज के पर्वतों के रक्षा के लिए इस आंदोलन में कूदने का आह्वान किया । वहीं सभी लोवो ने पारम्परिक लोक गीत से भगवान देव नारायण की स्तुति की व आदिबद्री एवं कंनकाँचल पर्वत की रक्षा के लिए प्रार्थना की । धरना स्थल पर बीसों गांवों के प्रतिष्ठित लोग सम्मिलित हुए जिन्होंने प्रदेश भर में अपनी आवाज बुलंद करने का आव्हान किया और कहा कि कृष्णकालीन लीलाओं से जुड़े इन पर्वतो पर खनन हमारी आस्था व संस्कृति पर बहुत बड़ा कुठाराघात है इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता । उन्होंने सम्मिलित रूप से इस आंदोलन में हर सम्भव योगदान देने का प्रण लिया व भगवान देवनारायण के समक्ष संकल्प लिया कि आवश्यकता पड़ने पर हमारी जाति के प्रदेश भर से असंख्य लोग यहाँ एकत्रित हो अनिश्चिकाल तक धरने व आंदोलन पर बैठने के लिए तत्त्पर हैं । इस मौक़े पर गौघोर, चूलेहरा, बरौली, पसोपा, खो, अलीपुर आदि 22 गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों के अलावा मुख्य रूप से सुल्तान सिंह, विजयसिंह, निहाल सिंह, बल्लो, रमेश, दुल्ली पटेल, कुंदन, विश्राम, रामसहाय मोजूद थे ।
इस अवसर पर ब्रज के दिव्य पर्वतों की रक्षा के लिए 23 फरवरी से भगवान देवनारायण की 7 दिवसीय विशाल कथा का आयोजन करने का निर्णय लिया गया । इस कथा में आदि बद्री क्षेत्र से जुड़े लगभग 50 गावों के ग्रामीण सम्मिलित होंगें । संरक्षण समिति के उपाध्यक्ष सुल्तान सिंह ने बताया कि इस कथा से संपूर्ण पहाड़ी व नगर क्षेत्र के ग्रामीणों को जोड़कर इस पर्यावरण व पर्वतों के रक्षार्थ आंदोलन को स्थानीय स्तर पर अधिक से अधिक मजबूत व व्यापक बनाने की योजना तैयार की गई है । यह कथा धरना स्थल व आंदोलन से समुचे ब्रज क्षेत्र को जोड़ने का काम करेगी ।