मानव व पालतू जानवरों की दखलंदाजी बाघों के लिए ख़तरा - प्रकृति प्रेमी
थानागाजी (अलवर, राजस्थान) प्रकृति ने वन्यजीवो के संतुलन बनाए रखने व जंगलों की सुरक्षा के लिए बाघ (शेर) बनाया, जिसके सब प्राणियों में श्रेष्ठ होने के उपरान्त इसे "जंगल का राजा" कहा जाता है, जों उसके साहस व निडरता का प्रतिक भी है।
राजस्थान के पुर्वीद्वार व भृतहरि की तपोभूमि में बाघ हमेंशा हमेशा से स्वच्छंद विचरण करते रहे हैं तथा इन्हें संरक्षण देने के उद्देश्य से सरिस्का में बाघ परियोजना की स्थापना की गई लेकिन उसके महज़ दो से तीन दशक में सरिस्का राष्ट्रीय बाघ परियोजना बाघ विहिन हो गया, को सरिस्का में चलते कु प्रबंधन का उदाहरण रहा है।
सरिस्का बाघ परियोजना के बाघ विहिन होने के बाद पुनः यहां बाघ बसाने के लिए सरिस्का टाइगर रिलेकेशन के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत बाघ लाकर स्थानिय लोगों, वन्य जीव प्रेमीयों सहित सभी के सामने खुशी की लहर दौड़ने के साथ ही बढ़ते बाघों के कुनबे को देख सभी प्रसन्न हैं वही सरिस्का में मानव व पालतू जानवरों बढ़ते बाघ के लिए पनप रहे ख़तरे से आम आदमी चिंतित हैं।
प्रशासन के कुप्रबंधन व गांवों के रिलेकेशन नही होने से एस टी 1, 4, 5, 11, 16 को हाथों से गवां चुके हैं जो बाघ व जंगल में रह रहे लोगों के बीच आपसी टकराव व द्वेश भावना का प्रतीक रहा है, वही वर्ष 2019 - 20 में तीन सौ से अधिक कैटल का शिकार कोर एरिया में बसे ग्रामीणों व बाघ के बीच आपसी वैमनस्यता को बढ़ाने के संकेत हैं।
बाघों के बढ़ते कुनबे के साथ मानव व पालतू पशुओं के दखलन के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए वन्य जीव व प्रकृति प्रेमी राम भरोस मीणा ने चिंता व्यक्त करते हुए सरिस्का बाघ परियोजना क्षेत्र में बसे ग्रामीणों को रिलेकेशन के साथ ही बाघ परियोजना क्षेत्र को मनव व पालतू जानवरों के दखलन से दुर रखने की आवश्यकता होना बेहद जरूरी बताया।