विश्व शांति महायज्ञ के साथ संपन्न हुआ तीन दिवसीय श्री जी वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव
भीलवाडा / बृजेश शर्मा
-प्रातः 6:15 शुभ मुहूर्त में विराजे मूलनायक पार्श्वनाथ भगवान, दोपहर 1:15 बजे दिगम्बर जैन मंदिर के शिखर पर स्वर्ण कलश व ध्वजा चढ़ाए गए।
भीलवाड़ा- हाथी, घोड़ा, बैंडबाजा, बग्गी, लाव लश्कर, चंवर के साथ बग्गी में सवार भगवान पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा को धवल रंग में रंगी पुरुष और लाल रंग की चूंदड़ वेशभूषा में सजी धजी दिगम्बर जैन समाज की महिलाएं नाचती झूमती मंगल गान गाती हुई
पार्श्वनाथ भगवान की जय, ॐ
जिनेन्द्राय नमः के उद्धघोष एक स्वर में बोलते हुए दो किलोमीटर की शौभायात्रा डेढ़ घण्टे में पूरी कर श्री जी भगवान को नव निर्मित दिगम्बर जैन मंदिर परिषर में पहुँचाया । ये अवसर था कारोई क्षेत्र के गाडरमाला कस्बे के सकल दिगम्बर जैन मंदिर मार्गी अग्रवाल समाज के द्वारा आयोजित तीन दिवसीय वेदी प्रतिष्ठा
महोत्सव के समापन समारौह का ।
जिसमें बच्चे, बच्चियां महिलाएं व पुरुषों ने मिलकर दिगम्बर जैन संतो के सानिध्य में इस वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव को सफल बनाया।
गाडरमाला के सत्यनारायण अग्रवाल दुड़िया ने बताया कि गाडरमाला सकल दिगम्बर अग्रवाल जैन समाज द्वारा सदर बाजार में नव निर्मित मन्दिर बनाया गया। जिसमें ब्रम्हचारिणी साध्वी देशना दीदी के नेतृत्व एवं पूज्य गणाचार्य विराग सागर महाराज के शिष्य विकसंत सागर महाराज व आचार सागर महाराज के सानिध्य में तीन दिवशीय वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव का सोमवार से शंखनाद हुआ । जिसमें तीसरे व अंतिम दिन बुधवार को प्रातः 6:15 श्री जी भगवान मूलनायक 1008 श्री पार्श्वनाथ भगवान की वेदी प्रतिष्ठा की गई । इसके बाद शांतिधारा, नित पूजन कर स्वागत समारौह आयोजित किया गया जिसमें जिले के भीलवाड़ा, गंगापुर, सियाणा के साथ ही गुजरात सहित अन्य जगहों से भी अतिथि पधारे उनका व तीन दिवशीय इस प्रतिष्ठा महोत्सव में सक्रिय भूमिका निभाने वाली नव युवक कार्यकर्ताओ की टीम, संगीतकार, हलवाई एवं पत्रकारों को माला के साथ अहिंसा परमो धर्म व पार्श्वनाथ जिनेन्द्राय नमः लिखा हुआ जैन धर्म का दुपट्टा पहना कर सभी का स्वागत सत्कार कर आभार प्रकट किया गया ।
अग्रवाल ने बताया इसके बाद श्री जी भगवान को बग्गी में सवार कर हाथी, घोड़ा, बैंडबाजा, बग्गी, लाव लश्कर, चंवर के साथ भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा को गाडरमाला में नगर भ्रमण करवा दिगम्बर जैन मंदिर पहुँचाया ।
इसके बाद शेष रही चार अन्य श्री जी भगवान की भी पार्श्वनाथ भगवान की जय, ॐ जिनेन्द्राय नमः के उद्धघोष के साथ वेदी प्रतिष्ठा कर मन्दिर के शिखर पर कलश स्थापना और ध्वजा चढ़ाए गए ।