पानी छिड़कना प्रदुषण रोकने का स्थाई समाधान नहीं- मीणा
थानागाजी (अलवर, राजस्थान) वातावरण में मौजूदा समय बढ़ते प्रदुषण से सांस लेना जितना कठिन हो रहा, उससे भी ज्यादा आगामी पिढियों को सुरक्षित रखना मुश्किल दिखाई दे रहा है। हवा में घुलता जहर, पेट्रोलियम व कार्बनिक पदार्थों, लोहे व प्लास्टिक के कण, प्लास्टिक कचरा, धुल, मिट्टी ने मानव के साथ साथ सभी जीवों-जानवरो का अस्तित्व ख़तरे में डाल दिया, वहीं बढ़ते तापमान को 1.5 डिग्री से अधिक बढ़ने से रोकना बढ़ी चुनौती है।
दिल्ली सहित एन सी आर क्षेत्र व देश के औद्योगिक महानगरों में पर्यावरणीय प्रदुषण इतनी तेज गति से बढ़ता चला की लोगों को श्वसन क्रिया में परेशानी होने के साथ ही दमा, सिलिकोसिस, ह्रदयघात, चर्म व मानसिक रोगियों की संख्या में तेज गति से इजाफा होने के साथ बुजुर्ग व्यक्तियों को सांस में परेशानी होने लगी जो बड़ी चिंता का विषय है।
बढ़ते पर्यावरणीय प्रदुषण से बचने के लिए सड़क किनारे पानी छिड़कना इसका स्थाई समाधान नहीं, राज्य व केन्द्र सरकार को पर्यावरण संरक्षण को लेकर बनाई गई नितियों पर अमल करते हुए ठोस कदम उठाने के साथ ही सांझा प्रयास करना चाहिए, साथ ही आम जन को पर्यावरणीय संरक्षण के कार्यों में आगे आकर हाथ बढ़ाते हुए उन सभी संसाधनों से परेहज करना आवश्यक है जो प्रदुषण बढ़ाने में सहायक होते हैं।
एलपीएस विकास संस्थान के प्रकृति प्रेमी रामभरोस मीणा ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अब समय प्रदुषण रोकने के स्थाई समाधान ढुंढ निकाल लेने का है न की इससे बचने का। उन्होंने यह भी कहा कि हमें स्थाई समाधान के लिए वनसम्पदा को बढ़ावा देने के साथ प्लास्टिक का त्याग, रुग्ण औधोगिक ईकाईयों में बदलाव करना होगा जिससे बढ़ते प्रदुषण व तापमान को नियंत्रित किया जा सके।