शिक्षा नीति बदलने के साथ सुरक्षा व्यवस्थाओं में सुधार जरूरी - प्रकृति प्रेमी
गांधी के सपनों का देश भारत जो विश्व पटल पर श्रेष्ठता प्राप्त किए होना चाहिए था वो आजादी के तेहत्तर वर्ष बाद भी अपने नेनिहालों के भविष्य के प्रति चिंतित दिखाई नहीं देता। कहने को भारत युवाओं का देश कहां जाता है, लेकिन आज देश में किसानों के बाद युवाओं का भविष्य जितना अंधकारमय बना हुआ है उतना किसी और का नहीं है। बदलते सामाजिक परिवेश, मानवीय मूल्यों, भौतिकवादी विचारधाराओं, वैज्ञानिक आविष्कारों के साथ आज युवाओं के भविष्य को संवारने के लिए भारत सरकार व राज्य सरकारों को शिक्षा नीति के साथ ही पाठ्यक्रमों में संशोधन के साथ सुरक्षा व्यवस्थाओं में बदलाव करने की अत्यधिक आवश्यकता है।पुर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की युवाओं को वैज्ञानिक आविष्कारों, वैज्ञानिक सोच, स्वरोजगार के प्रति प्रेरित किये जाने व आत्म निर्भर बनने की प्रेरणा से देश के युवाओं में उत्साह जागरूक होने के साथ नितियों में आंशिक परिवर्तन हुआं वहीं देश के निति निर्माताओं को सही नितियों लागु करने की प्रेरणा देता है। संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर ने निति निर्माण के समय सभी विभागों को अपनी अपनी व्यवस्थाओं को स्वतंत्र, निर्भीक होकर निभाने का पुर्ण अधिकार देने के साथ कार्य के प्रति जिम्मेदार बनाया, लेकिन आज सभी नियमों, कानुनौ, कायदों, मानवता आदि की उच्च पदों पर बैठे प्रशासकों, सरकारों द्वारा धज्जियां उडवाई जा रही है, जिससे युवाओं के साथ आम जन अपने को कोसा सा नजर आ रहा है, इससे लग रहा है कि आने वाले समय में ना रोजगार होगा ना सुरक्षा।भारत सरकार द्वारा आयोजित निट परिक्षा, राजस्थान सरकार द्वारा आयोजित राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा , पुलिस विभाग राजस्थान सरकार के एस आई परिक्षा एवं राजस्थान सरकार (शिक्षा विभाग) द्वारा आयोजित अध्यापक पात्रता परीक्षा रिट लेवल प्रथम व दुसरे के परिक्षा से पुर्व पकड़े गये दर्जनों नकलची, दलालों, धुस खोरो, साइबर क्राईम , चप्पल गिरोह, मुन्ना भाई जैसों द्वारा नकल कराने, पेपर खरीदने,परिक्षा पेपर के खुले आम बाजारों, कोचिंग सेंटर में बिकने, इंटरव्यू में परिक्षार्थियों के साथ भेद भाव के साथ ही इस प्रकार के बढ़ते कारोबार से योग्य परिक्षार्थियों के भविष्य के साथ हो रही खिलवाड़ हर सम्भव सरकारी सुरक्षा एजेंसियों, सम्बन्धित विभागों, सरकारों पर प्रशन उठाने के साथ शिक्षा नीति के पाठ्यक्रमों में पुर्ण बदलाव की आवश्यकता महसूस करने के साथ साथ सुरक्षा व्यवस्थाओं में बदलाव की आवश्यकता महसूस करने लगा है।
बढ़ते प्रतियोगी परीक्षाओं में नकलची, पेपर बिकने, गिरोहों द्वारा अयोग्य को योग्य घोषित कराने की गारंटी ने देश की सभी राजकीय व्यवस्थाओं पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया, यही नहीं युवाओं में निराशा पैदा होने लगी है, मेहनत करने वाले प्रतिभागियों को निराशा हाथ लग रही है वहीं अयोग्य को योग्य घोषित किया जा रहा, आखिर ऐसा कर क्या संदेश देना चाह रहे हैं,किस दिशा में देश व युवा को ले जाना चाहते हैं? प्रतियोगी परीक्षाओं में बढ़ते इस प्रकार के चिटिंग से आगे जाकर युवा क्रांति को जन्म लेने की सम्भावना बनती है जिससे देश व देश के नो जवानों को भारी नुक़सान के साथ राष्ट्रीय स्तर पर संकट पैदा हो सकता। युवाओं के साथ बढ़ते इस प्रकार की चिटिंगों को समय रहते रोका जाना बहुत जरूरी है जिससे देश में किसी प्रकार की क्रांति पैदा ना हो तथा शासकीय व्यवस्थाओं पर आज के युवाओं का विश्वास बना रहें।लेखक के अपने निजी विचार है।
- लेखन- राम भरोस मीणा