बढ़ती सर्दी के साथ मेनार के जलाशयों में बढ़ने लगी है विदेशी परिंदों की करलव

Nov 27, 2021 - 02:16
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बढ़ती सर्दी के साथ मेनार के जलाशयों में बढ़ने लगी है विदेशी परिंदों की करलव

वल्लभनगर (उदयपुर, राजस्थान/ मुकेश मेनारिया) सर्दियों के मौसम के आगाज के साथ ही मेवाड़ के जलाशय देश-विदेश प्रवासी परिंदों के आने का क्रम शुरू हो चूका है।जिससे यह जलाशय इन परिंदो के कलरव से गुंजायमान होने लगे हैं। सर्दी बढ़ने के साथ ही जलाशयों में प्रवासी पक्षियों के संख्या भी बढ़ने लग जाएगी।वैसे तो उदयपुर शहर  के साथ जिले के अधिकांश जलाशयों पर सर्दी के मौसम में प्रवासिय पक्षि आते हैं, लेकिन मेनार गांव का मेनार तलाब प्रवासिय पक्षियों को खुब रास आता है। जिसका मख्य कारण है ग्रामीणों की ओर से तालाब को पूर्ण रूप से परिंदों के लिए समर्पित और संरक्षित कर रखा है। यही कारण है कि हर साल बड़ी संख्या में सर्दी के मौसम में देश—विदेश से पक्षी यहां पर प्रवास के लिए आते हैं और मेनार तालाब का पुरा नजारा ही बदल देते हैं। 
 उदयपुर शहर से करीब 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मेनार गांव का यह तालाब पर्यावरण संरक्षण के रूप में अनुकरणीय आदर्श प्रस्तुत करता है. इस जलाशय को ग्रामीणों ने इस तरह से संरक्षित कर रखा है कि सर्दी का मौसम शुरू होने के साथ ही सात समन्दर पार से यहां पक्षियों के आने का क्रम शुरू हो जाता है. सर्दी का मौसम परवान चढ़ने के साथ ही हजारों पक्षी यहां पहुंच जाते हैं और अगले चार महिने तक यहां पक्षियों की जल क्रीड़ाओं को देखने के लिए बड़ी संख्या में पक्षीप्रेमी और पर्यावरणविद् पहुंचते हैं.  

  • ग्रामीण करते हैं पक्षियों की रक्षा: -

सबसे बड़ी बात यह है कि ग्रामीण पक्षी मित्रों द्वारा पक्षियों के लिए संरक्षित तालाब है। ग्रामीणों के द्वारा संरक्षण किए जाने के कारण यह क्षेत्र जैव विविधता से भरपूर दिखाई देता है। देश-प्रदेश का यह अनूठा उदाहरण होगा कि पक्षियों की संख्या को देखकर उनके उपयोग के लिए ही यहां इन दोनों तालाबों से ग्रामीण काश्तकार सिंचाई के लिए न तो पानी लेते हैं और न ही किसी को लेने देते हैं.।  इसके साथ ही ग्रामीणों द्वारा मछलियों से लबालब इस तालाब में किसी भी प्रकार से न तो ग्रामीण मत्याखेट करते हैं और न ही इसका ठेका दिया जाता है. । इतना ही नहीं गर्मियों में इस तालाब का पानी जब सूखने लगता है तो मछलियों और पक्षियों को बचाने के लिए ग्रामीण टेंकरों के माध्यम से तालाब को जल से भरते हैं. हाल ही में इन जलाशयों पर पक्षीमित्रों द्वारा चारागाह विकास कार्य भी किए गए हैं.। 

  • 150 से अधिक प्रजातियों के पक्षि आते है प्रवास पर -

उदयपुर के पक्षी विशेषज्ञ विनय दवे के अनुसार मेनार तालाब में 150 से अधिक प्रजातियों के हजारों स्थानीय और प्रवासी पक्षी हैं.। इन पक्षियों में रोज़ी पेलिकन, डालमेशियन पेलिकन, बार हेडेड गूज, ग्रे-लेग गूज, ग्रेट क्रस्टेड ग्रीब, मार्श हेरियर, कॉमन क्रेन, सुर्खाब के साथ ही रफ, गोडविट, शॉवलर, पिनटेल, यूरेशियन विजन, कॉमन पोचार्ड, टफटेड पोचार्ड, रेड क्रस्टेड पोचार्ड, गेडवाल, फ्लेमिंगो, कॉमन टील, वेगटेल, ग्रीन शेंक, रेड शेंक, रिंग प्लोवर, प्रोटोनिकॉल, लिटील स्टींट, विस्कर्ड टर्न आदि मेहमान पक्षी आते हैं।  बड़ी संख्या में पक्षीप्रेमी और देशविदेश के पर्यटक व विशेषज्ञ यहां पहुंच रहे हैं और सुबह-शाम परिंदों की रंगीन दुनिया को देखने का लुत्फ उठाते हैं.।

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