देश को पूर्ण आजादी मिलना अभी बाकी.........मंगल चंद सैनी पूर्व तहसीलदार
उदयपुरवाटी (मंगल चंद सैनी/ सुमेर सिंह राव )
आज पूरा देश आजादी का77वां दिवस मना रहा है, सब जानते हैं कि 1947 को आज ही के दिन हमें ब्रिटिश राज से आजादी मिली थी। वैसे स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत 1857 से हो गई थी जब मेरठ छावनी में महान क्रांतिकारी मंगल पांडे ने अंग्रेजों के लिए बंदूक चलाने से मना कर दिया था, बंदूक के कारतूस गाय की चर्बी से बनाने की सूचना ब्रिटिश भारतीय सैनिकों तक पहुंच गई थी पूरी छावनी में अंग्रेजो के खिलाफ गुस्सा फूट गया था। अट्ठारह सौ सत्तावन से शुरू हुये स्वतंत्रता संग्राम को 15 अगस्त 1947 को अपना मुकाम हासिल हुआ, इस दौरान हजारों वीर सपूतों ने भारत माता की आजादी के लिए अपना बलिदान दे दिया था। कितनी बहनों ने अपने भाई खो दिये कितनी माताओं ने अपने सपूत खोये, कितनी ही वीरांगनाओं का माथे का सिंदूर मिटा।आजादी के दीवानों में महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस ,बाल गंगाधर तिलक, जवाहरलाल नेहरू, लाला लाजपत राय, मदन लाल ढींगरा ,खुदीराम बोस ,सरदार बल्लभ भाई पटेल, राम प्रसाद बिस्मिल आदि तथा अनाम शहीद हुए जिनके बलिदान से स्वतंत्रता रूपी भवन की नींव रखी गई।
आज भारत की पूरे विश्व में हर क्षेत्र में धाक है किंतु आंतरिक क्षेत्र में अनेक बुराइयां हैं, जो देश को खोखला कर रही हैं, इनमें सबसे प्रमुख है भ्रष्टाचार. यह ऐसी बीमारी है जिसकी बुराई सब करते हैं किंतु व्यक्ति खुद भ्रष्टाचार को छोड़ना नहीं चाहता। अपने बेटा बेटी को नौकरी कौन नहीं लगाना चाहता चाहे रिश्वत कितनी ही देनी पड़े। हर मां बाप अपने बेटे की वेतन के अलावा ऊपर की आय को बड़े गर्व से गिनाते हैं। राजकीय निर्माण क्षेत्र में क्या बिना कमीशन के कोई कल्पना कर सकता है। चाहे माइनिंग लीज हो सफाई ठेके हो मजदूर सप्लाई हो या अन्य कोई भी ठेका कार्य हो बिना कमीशन असंभव है। पुलिस महकमा ,राजस्व विभाग, बिजली, पानी ,चिकित्सा चाहे किसी भी विभाग की एक आदमी से राय ली जाए तो आंखें खोलने वाला सच सामने आएगा। बिना ऊपर की कमाई के चमचमाती अट्टालिकायें , फर्राटे भरती महंगी कारें ,पानी की तरह धन बहाने वाली शादियां, महंगी ज्वेलरी ,चुनाव में सरपट दौड़ती गाड़ियां क्या कोई कल्पना कर सकता है।
आज अमीर और गरीब के बीच की खाई बढ़ती जा रही है। प्लास्टिक का कचरा बीनने वाले बदनसीब लोग ,फुटपाथ पर ,मंदिरों के बाहर ,बसों में तथा घर-घर भीख मांगने वाले क्या बंद हो गए। नरेगा में जाने वाले मजदूर चाय की दुकान पर कप धोते देश के होनहार देश की क्या छवि पेश कर रहे हैं। यह सभी जिस दिन देश की मुख्यधारा में आ जाएंगे निसंदेह उस दिन संपूर्ण आजादी मिल जाएगी।
खूब बहती है अमन की गंगा बहने दो, मत फैलाओ देश में दंगा रहने दो,
लाल हरे रंग में मत बांटो हमको,
हर छत पर एक तिरंगा रहने दो।
(प्रस्तुत लेख में व्यक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं)