न विज्ञापन निकाला, न आवेदन मांगे और न ही लिया साक्षात्कार विश्वविद्यालय में कुलपति की मनमानी ,चहेतों को चेयर
वैर, भरतपुर ,राजस्थान (कौशलेंद्र दत्तात्रेय)
महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय में इन दिनों मनमर्जी का खेल चलता रहा है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। इसमें बृज विश्वविद्यालय ने कुछ अपनों को कायदे किनारे कर नियुक्ति दे दी। विश्वविद्यालय की ओर से न तो आवेदन मांगे गए और न ही साक्षात्कार लिए गए। विश्वविद्यालय ने बिना किसी नियम कायदे के मनमर्जी से सीधे 12 लोगों को विभिन्न पदों पर नियुक्ति दे दी है। हालांकि कहने को इन लोगों को संविदा पर नियुक्ति दी गई है। लेकिन ये नियुक्ति 5-5 साल के लिए दिया जाना बताया जा रहा है।सूत्रों का दावा है कि कुछ लोगों को सीधे लाभ पहुंचाने के लिए सारे नियम कायदों को ताक पर रखकर ये नियुक्तियां दी गई है। सूत्रों के मुताबिक बृज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रमेश चंद ने अप्रैल 2023 से अब तक विश्वविद्यालय में करीब 11- 12 लोगों को असिस्टेंट प्रोफेसर और एक उधान अधिकारी के पद पर नियुक्ति दी है। आरोप है कि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रमेश चंद ने अपने जान पहचान वालों से सीधे रिज्यूम मंगवा कर उन्हें नियुक्ति दे दी। इस पूरी प्रक्रिया में किसी नियम के तहत कार्य नहीं किया गया है। हालांकि बृज विश्वविद्यालय प्रशासन का दावा है कि यह सब नियुक्तियां नियम कायदों के अनुसार की गई है ।
5 साल बाद करेंगे स्थाई नियुक्ति की मांग
विश्वविद्यालय कुलपति ने जिन लोगों को नियम विरुद्ध तरीके से पांच-पांच साल के लिए संविधान पर नियुक्ति दी है असल में वह भविष्य में उनके लिए विश्वविद्यालय में स्थाई नियुक्ति के लिए रास्ता तैयार किया गया है। जब इन लोगों को संविदा पर 5 साल हो जाएंगे तो इसी आधार पर यह लोग न्यायालय के माध्यम से स्थाई नियुक्ति की मांग करेंगे ।पहले ऐसा कई विश्वविद्यालय में हो चुका है ।
जो कुछ किया यूनिवर्सिटी के हित में किया ...कुलपति
सभी नियुक्तियां नियम कानूनों की पालना के तहत की गई है ।बोम बैठक में अनुमोदन के बाद ही आवश्यकता के अनुसार नियुक्तियां करने का निर्णय लिया गया था । जिनको नियुक्तियां दी गई है वे मेरे कोई रिश्तेदार नहीं है। जो कुछ भी किया है वह विश्वविद्यालय के हित में किया गया है ।राजनीति करने वाले लोगों का मेरे पास कोई उपाय नहीं है । - प्रोफेसर रमेश चंद, कुलपति महाराजा सूरजमल विश्वविद्यालय
उप कुलसचिव से करा दिए हस्ताक्षर
सूत्रों की मानें तो कुलपति ने इन लोगों की नियुक्ति के लिए पहले के तत्कालीन कुलसचिव सुभाष शर्मा पर दबाव बनाया लेकिन जब उन्होंने बिना नियम के नियुक्ति देने का विरोध किया तो उनकी गैर मौजूदगी में उप कुलसचिव डॉ.अरुण कुमार पाण्डेय के हस्ताक्षर से नियुक्ति करा दी।