तुलसीदास जी सहित राम दरबार की विशेष पूजा अर्चना
लक्ष्मणगढ़ ,अलवर (कमलेश जैन )
हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को तुलसीदास जयंती मनाई गई। तुलसीदास जी ने हिंदू महाकाव्य रामचरितमानस, हनुमान चालीसा समेत तमाम ग्रंथों की रचना की और अपना पूरा जीवन श्रीराम की भक्ति और साधना में व्यतीत किया।
योग शिक्षक पंडित लोकेश कुमार ने बताया कि आज बुधवार को तुलसीदास जी का 526 वा जन्मदिन मनाया गया। तुलसीदास जी के जन्म अवसर पर तुलसी दास जी सहित विशेष पूजा अर्चना राम दरबार सहित की गई। पंडित ने बताया कि
गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में हुआ था। वे सरयूपारी ब्राह्मण थे। जन्म लेते ही तुलसीदास जी के मुख से 'राम' नाम का शब्द निकला था। इसलिए, उनका नाम रामबोला रख दिया गया था।
गोस्वामी तुलसीदास 16वीं सदी के महान संत और कवियों में एक माने जाते हैं।
बचपन में मां के देहांत के बाद पिता भी तुलसीदास जी के लालन-पालन की जिम्मेदाराी से पीछे हट गए। रामबोला की मां की दासी चुनिया ने उन्हें अपने पुत्र के रूप में पालना शुरू किया। लेकिन उनका भी निधन हो गया जब रामबोला महज साढ़े पांच साल के थे। गरीबी और भूख से त्रस्त तुलसीदास जी ने भिक्षा मांगकर अपना गुजारा किया। कहते हैं तुलासीदास जी की ये हालत देखकर मां पार्वती ने भेष बदलकर उनका पालन पोषण किया।
ऐसे बने श्रीराम के भक्त
""""""""”""""""""""
शादी के बाद तुलसीदास जी की पत्नी एक बार मायके चली गई थी। पत्नी वियोग में तुलसीदास जी भी उनके पीछे चल दिए। तब पत्नी रत्नावली ने कहा लाज न आई आपको दौरे आएहु नाथ" अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति ता। नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत बीता।
अर्थात- 'हड्डी और मांस के इस शरीर से इतना प्रेम। अगर इतना ही प्रेम तुमने राम से किया होता तो ये जीवन सुधर जाता। पत्नी की बात सुनते ही तुलसीदास जी का अंतर्मन जाग उठा और फिर उन्होंने अपना सारा जीवन श्रीराम की भक्ति में व्यतीत किया।