भगवान का भक्त बनने के लिए सुकर्म का मार्ग अपनाना पड़ता है ------देवी चित्रलेखा
वैर, भरतपुर, राजस्थान (कौशलेंद्र दत्तात्रेय)
भुसावर-उपखंण्ड भुसावर के निकटवर्ती गांव घाटरी में आयोजित हो रही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन भागवत प्रेमियों को शुकदेव जी आगमन, धुव्र चरित्र, अजामिल और भक्त प्रहलाद की कथा का रसपान देवी चित्रलेखा के मुखारविंद से करवाया गया। जहां भक्तों ने ठाकुर जी की विधि विधान से पूजा अर्चना की। कथा आयोजक एवं परीक्षित अंजना देवी एवं मुकेश शर्मा ठेकेदार द्वारा कथाव्यास देवी चित्रलेखा का पुष्पवर्षा के साथ स्वागत किया गया।
कथावाचिका देवी चित्रलेखा ने भागवत प्रेमियों को बताया कि भगवान के अनन्य भक्तों में एक नाम भक्त प्रहलाद का आता है। जिन्होने अपने अभिमानी पिता जो कि भगवान को अपना शत्रु मानता था।उसके घर में जन्म लेने के बाद भी हमेशा श्री हरि नाम का जाप किया। उन्होने कहा कि हमें भगवान के लिए अपने आप को पूरी तरह समर्पित कर देना चाहिए। हमें भगवान का भक्त बनने के लिए सुकर्म का मार्ग अपनाना पडता है। और अपने मन पर नियंत्रण करते हुए भगवान हरि के नाम में (स्मरण)लगाना पडता है। तथा हरी नाम का महत्व बताया कि हरि नाम के भजने से समस्त पापों की मुक्ति हो जाती है। और उसके लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। कथा पाण्डाल में भजनों पर भक्तों ने जमकर नृत्य किया।