शिव पुराण कथा महायज्ञ में शिव मंदिर में दीपदान का महत्व एवं विवाह शब्द के अर्थ का वर्णन
दो तन, मन और दो का मिलकर एक हो जाना ही विवाह है... मुक्तिनाथ शास्त्री नेपाल
उदयपुरवाटी (झुञ्झुनु, राजस्थान/ सुमेर सिंह राव) हीरवाना गौशाला में स्थित राधा गोविंद मंदिर में विश्वनाथ गोरसिया परिवार सीकर द्वारा महंत लक्ष्मण दास महाराज व सोमनाथ शास्त्री नेपाल के सानिध्य में चल रही शिव महापुराण कथा महायज्ञ के पांचवें दिन कथावाचक मुक्तिनाथ शास्त्री नेपाल ने शिव मंदिर में दीपदान के महत्व का वर्णन किया। कामदेव की उत्पत्ति कथा विस्तार से बताई। अहंकार, द्वेष और क्रोध करने से होने वाले नुकसान व विवाह शब्द के अर्थ के बारे में विस्तार से बताया। कथावाचक ने कहा कि शिवालय में दीपदान करने से मनुष्य जीवन कभी अंधकारमय नहीं बनेगा। अहंकार, द्वेष और क्रोध करने से मनुष्य को किसी भी जगह सम्मान नहीं मिलेगा इससे उसकी उन्नति नहीं होगी। विवाह शब्द का अर्थ बताते हुए उन्होंने कहा कि दो तन और एक मन आपस में सम्मान की भावना से जुड़कर एक होना अर्थात दो आत्माओं का मिलकर एक हो जाना ही विवाह कहलाता है। मनुष्य भक्ति करने से ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति करता है। यह तीन वस्तुएं प्राप्त होने मनुष्य अपनी इच्छा एवं कामनाओं पर पूर्ण विजय पा लेता है। काम, क्रोध मद्, लोभ का त्याग करने से मनुष्य महान बनता है एवं परमात्मा की प्राप्ति करता है। उन्होंने कहा कि माता ही बालक की प्रथम गुरु होती है । बाल्यावस्था के बाद युवावस्था में माता-पिता को अपने बच्चों के पथ पर हमेशा नजर रखनी चाहिए। यदि बच्चा गलत रास्ते पर जा रहा है तो माता-पिता को सखा बनकर बच्चे को गलत मार्ग से बाहर निकाल कर सही रास्ते पर लाना चाहिए। इस दौरान कन्हैयालाल रावत, शेरसिंह खटाणा, भजनाराम भढाणा, गोपाल शर्मा, हवलदार रामकरण रावत, अशोक शर्मा पालवास, ओम प्रकाश, राजकुमार सैनी, प्रमोद कुमार जांगिड़, भाताराम रावत, बाबूलाल, रामअवतार जांगिड़, सचिन सैनी, गोपाल सिंह शेखावत, मुकेश दाधीच, मनजीत स्वामी, बनवारी लाल जांगिड़, बजरंग गोरसिया, जितेंद्र बराला, संजय कुमार शर्मा, अंशु शर्मा, धीरज शर्मा, महेंद्र बंजारा, हीरालाल मास्टर सहित काफी संख्या में महिला एवं पुरुष मौजूद रहे।