पार्वती का रूप स्त्री लक्ष्मी का स्वरूप है ........मुक्तिनाथ शास्त्री
उदयपुरवाटी / बाघोली (सुमेर सिंह राव)
गोशाला परिसर में स्थित राधा गोविंद मंदिर में सीकर के विश्वनाथ गोरसिया परिवार द्वारा महंत लक्ष्मण दास महाराज एवं सोमनाथ शास्त्री नेपाल के सानिध्य में चल रही 11 दिवसीय शिव महापुराण कथा महायज्ञ में सातवें दिन रविवार को कथा वाचक नेपाल की मुक्तिलाल शास्त्री ने बताया कि पार्वती का धर्म* स्त्री लक्ष्मी का स्वरूप है इसलिए उनका सम्मान होना चाहिए। विवाहित एवं सौभाग्यशाली नारी को पतिव्रता धर्म को ही सबसे प्रथम मानना चाहिए। पति की आगे के बिना किया हुआ कर्म का फल पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं होता है। परंतु पति को भी पति ही रहना चाहिए। पति पारिवारिक कर्तव्य का पालन करने वाला होना चाहिए। यदि ऐसा हुआ तो विवाहित महिला के लिए पति ही देवता, गुरु, भ्राता, धाम, तीर्थ एवं व्रतादि है।
कार्तिकेय भगवान की उत्पत्ति की कथा, तारकासुर का वध एवं कार्तिकेय की वीर गाथा का वर्णन किया गया। ध्यान धेययपूर्वक अध्ययन करके शक्ति, शिक्षा एवं सामर्थ्य प्राप्त करने पर छोटी उम्र में भी संसार रुपी युद्ध के मैदान में हम विजय प्राप्त कर सकते हैं। संगीतमय भजनों के माध्यम से एक से एक बढ़कर भजन पेश किए ।कथा समापन पर महा आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया। इस दौरान अशोक शर्मा पालवास, राजकुमार सैनी, मुकेश दाधीच, प्रमोद कुमार जांगिड़, गोपाल सिंह शेखावत, रामअवतार जांगिड़, मनजीत स्वामी, भाताराम रावत, संजय कुमार शर्मा, रामकरण रावत, कन्हैयालाल रावत, शेर सिंह खटाणा, भजनाराम भडाणा, गोपाल शर्मा, सचिन सैनी, बजरंग गोरसिया सहित कई श्रद्धालु मौजूद थे।