संकष्टी चतुर्थी (बहुला चतुर्थी) व्रत रख श्री गणेश एवं गौ माता की पूजा अर्चना
लक्ष्मणगढ़,अलवर (कमलेश जैन)
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष 3 सितंबर को संकष्टी चतुर्थी मनाई गई भगवान गणेशजी की पूजा के साथ ही गाय की पूजा भी की गई। संकष्टी चतुर्थी की वजह से इस दिन गणेशजी की पूजा का महत्व है। भगवान कृष्ण की गौशाला में एक गाय थी बहुला, उसके नाम पर इस चतुर्थी का नाम बहुला चतुर्थी भी कहा जाता है। योग शिक्षक पंडित लोकेश कुमार ने बताया कि बहुला चतुर्थी आज3 सितंबर रविवार को मनाई गई। भाद्रमास के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी इसी दिन होने की वजह से आज बहुला चतुर्थी मनाई गई । धर्मावलंबियों ने भगवान गणेशजी की पूजा की । गणेश जी के पूजन करने से संकट दूर होते हैं और शुभ लाभ की प्राप्ति होती है।
आज किए गए व्रत में बहुला चतुर्थी के बारे में कहा जाता है ।यह व्रत सत्य और धर्म की जीत का व्रत है। संतान के सुख और तरक्की के लिए यह व्रत बहुत ही लाभकारी माना जाता है। लोगों द्वारा बहुला चतुर्थी आज दिन गाय की पूजा भी की गई । गाय पूजन को शुभफलदायी और धनदायक माना जाता है। बहुला चौथ पर ग्वाले अपनी गाय को नहीं दोहते हैं बल्कि उसका दूध बछछ़े को पीने के लिए छोड़ देते हैं। इस दिन भगवान गणेशजी की पूजा के साथ ही बहुला नाम की धर्म परायण गाय की भी पूजा की जाती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रमास की चतुर्थी का आरंभ 2 सिंतबर की रात को 8 बजकर 49 मिनट पर शुरू हुआ और इसका समापन आज शाम को 6 बजकर 24 मिनट पर हुआ। मान्यताओं के अनुसार बहुला चौथ की पूजा शाम के वक्त की गई । और चंद्रमा को देखकर व्रत पूरा किया गया। इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और धन में वृद्धि होती है।