गवरी नृत्य देखने उमड़ा जनसैलाब
उदयपुर (राजस्थान/ मुकेश मेनारिया) उदयपुर जिले के वल्लभनगर उपखण्ड क्षेत्र स्थित ग्राम पंचायत बाठरडा खुर्द के गाडरी बस्ती में गवरी नृत्य का मंचन किया गया गवरी नृत्य मेवाड़ का पारंपरिक लोक नृत्य है। भील समाज के युवाओं व बुजुर्गों ने गवरी नृत्य में अपनी पारंपरिक कला का प्रदर्शन किया। भील जनजाति भगवान शिव को अपना आराध्य मानते हैं और उनकी पत्नी पार्वती को गोरी मानती है गोरी के नाम से ही इस नृत्य का नाम गवरी पड़ा है यह नृत्य भाद्रपद कृष्ण की एकम से शुरू होता है जो लगातार सवा महीने तक चलता है सवा महीने तक भील जनजाति के लोग व्रत और उपवास रखते हैं और इस नृत्य का मंचन करते इस नृत्य में मुख्य पात्र राय बुढ़िया हटिया और वरजू कांजरी, बंजारा, चोर बालद, प्रेम सुखा कानजी आदि होते हैं। गवरी के मंचन में कलाकारों द्वारा हिंदी, अंग्रेजी व मेवाड़ी भाषा को कुछ इस अंदाज से बयां किया की सभी ग्रामीणों का मन मोह लिया। गवरी मंचन की प्रस्तुतियां देखने के लिए क्षेत्र के विभिन्न गांवों के सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।