दसलक्षण पर्व का आठवां दिन है उत्तम त्याग
लक्ष्मणगढ़ (कमलेश जैन) जीवन का उद्धार संग्रह करने से नहीं त्यागने से होता है। बाहर की वस्तु का दान और मन के विकारी परिणामों का शमन ही उत्तम त्याग है । दसलक्षण पर्व का आठवां दिन उत्तम त्याग होता है। त्याग का अर्थ है इच्छाओं और भावनाओं का त्याग करना और संतोष की भावना विकसित करना। जब व्यक्ति त्याग की भावना को खुद में विकसित कर पाता है, तो वह अपनी आत्मा को शुद्ध बनाता है। इच्छाओं का त्याग करने से व्यक्ति कई तरह के बुरे कर्मों को करने से बच जाता है और उसके कई बुरे कर्मों का नाश भी होता है। जैन धर्म में त्याग का विशेष महत्व है। जैन मुनि सिर्फ अपना घर या सांसारिक मोह-माया ही नहीं, बल्कि अपने कपड़ों तक का भी त्याग कर देते हैं और पूरा जीवन दिगंबर मुद्रा धारण करके व्यतीत करते है। कस्बे के आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में आज दश लक्षण पर्व के आठवें दिन उत्तम त्याग का महत्व सुमत चंद्र जैन द्वारा बताया गया। एवं मंदिर में विशेष पूजा अर्चना कर शांति धारा का लाभ प्रदुमन कुमार जैन रावका परिवार द्वारा लिया गया।