दसलक्षण पर्व का नौवां दिन है उत्तम आकिंचन्य
लक्ष्मणगढ़ (कमलेश जैन) आकिचनय धर्म आत्मा की उस दशा का नाम है जहां पर बहारी सब छूट जाता है किंतु आंतरिक संकल्प विकल्पों की परिणीति को विश्राम मिल जाता है। दसलक्षण पर्व का नौवां दिन उत्तम आकिंचन्य होता है। उत्तम आकिंचन्य हमें मोह-माया का त्याग करना सिखाता है। हमें किसी भी चीज में ममता नहीं रखनी चाहिए। सभी तरह की मोह-माया व प्रलोभनों का त्याग करके ही परम आनंद मोक्ष को प्राप्त करना मुमकिन है। जब आप मोह का त्याग कर देते हैं तो इससे आत्मा को शुद्ध बनाया जा सकता है। अक्सर लोग उन चीजों के प्रति आसक्ति रखते हैं , जिसके वह बाहरी रूप में मालिक हैं – जैसे-घर, जमीन, धन, चांदी, सोना, कपड़े और संसाधन। यह आसक्ति ही व्यक्ति की आत्मा के भीतर मोह, गुस्सा, घमंड, कपट, लालच, डर, शोक, और वासना जैसी भावनाओं को जन्म देती है। लेकिन अगर व्यक्ति इन सब मोह का त्याग करता है, तो उसके लिए आत्मा को शुद्ध बनाने का रास्ता प्रशस्त होता है।
कस्बे स्थित दस लक्षण पर्व के नवे दिन आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की गई एवं शांति धारा का धर्म लाभ लोकेश कुमार हितेश कुमार जैन पैट्रोल पंप वालों द्वारा लिया गया। संध्या वंदन में महा आरती का आयोजन दैनिक किया जा रहा है। संध्या आरती में जैन अनुयायि बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। महाआरती पश्चात महिलाओं द्वारा समाज के बच्चों से जैन धर्म के बारे में प्रश्न उत्तर प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है। जिसमें बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए इनाम वितरण भी किया जा रहा है।