महात्मा गांधी व लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर विशेष: परहित सरिस धर्म नहीं - सैनी
उदयपुरवाटी (सुमेरसिंह राव) राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पूरे देश व विदेश में मनाई जा रही है। इन महापुरुषों की जयंती मनाने का उद्देश्य तभी सफल होगा जब हम उनके द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों का अपने जीवन में अनुसरण करेंगे। गांधी जी ने सादा जीवन उच्च विचार को अपनी जीवनचर्या का हिस्सा बना लिया था, जिसकी आज भी अत्यंत आवश्यकता है। गांधीवाद का आज बहुत महत्व है क्योंकि समाज में मूल्यों का निरंतर पतन हो रहा है।यहां तक कि अपने निजी स्वार्थ के लिए किसी की हत्या करने से भी परहेज नहीं किया जाता है।
वे कहा करते थे कि आत्मा की आवाज ही सत्य है और सत्य ही ईश्वर है किंतु क्या हम अपनी आत्मा की आवाज को सुनते हैं। उन्होंने अनेक अवसरों पर कहा कि खुद वह बदलाव बने जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं। आज की शिक्षा के लिए उनके स्पष्ट विचार थे कि शिक्षा आचरण पर आधारित होनी चाहिए यदि शुद्ध व पवित्र आचरण नहीं अपनाया गया तो मनुष्य मनुष्य नहीं रहकर असुर बन कर रह जाएंगे। गांधी जी ने वसुधैव कुटुंबकम को आत्मसात कर लिया था उसी का परिणाम है कि आज पूरा विश्व एक छोटा सा गांव जैसा बन गया है कोई भी देश केवल अपने संसाधनों के आधार पर विकास नहीं कर सकता। वे भौतिक संपदा के अनावश्यक संग्रह के खिलाफ थे। अस्तु! गांधी जी के जीवन मूल्यों पर हजारों पुस्तकें लिखी जा चुकी है किंतु सार यही है कि उनके जीवन मूल्यों को हकीकत में अपनाने से ही व्यक्ति व देश का भला व प्रगति कर सकता है।