भाजपा के टिकट वितरण की दूसरी लिस्ट के बाद मेवाड़ में उम्मीदवारों के बीच बगावती सुर तेज
महाराज भिंडर बदल सकते हैं मेवाड़ - वागड़ का राजनीतिक मिजाज
उदयपुर (राजस्थान/ मुकेश मेनारिया) विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर के भारतीय जनता पार्टी द्वारा दूसरी लिस्ट में जारी करने के बाद
भारतीय जनता पार्टी में लंबे समय से कार्य कर रहे कार्यकर्ताओं का टिकट मिलने एवम मौजूदा विधायक के टिकिट कटने के बाद टिकिट वितरण में हेर फेर , निजी खुन्नस निकालने का आरोप लगाने को लेकर के बगावती सूर तेज है।
चित्तौड़गढ़ सीट से वर्तमान विधायक चंद्रभान सिंह आक्या का टिकट कटने के बाद चित्तौड़ का माहौल विधायक आक्या के पक्ष में गरम है। चंद्रभान सिंह के समर्थक एवम् पार्टी पदाधिकारी सड़कों पर उतरकर के भाजपा का गलत निर्णय बताया है।
भाजपा द्वारा जारी दूसरी सूची में उदयपुर शहर से उप महापौर पारस सिंघवी को टिकट नहीं मिलने पर सिंघवी के भी बगावती सूर तेज है। टिकट नहीं मिलने के बाद आयोजित सामूहिक सभा के माध्यम से असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया को भी आड़े हाथ लिया। वही उदयपुर की राजनीति को दूषित न करने की भी सलाह दे डाली है। उदयपुर शहर में गत दोनों स्वाभिमान रैली के माध्यम से यह संदेश आला कमान तक पहुंचा दिया है, कि टिकट वितरण में हेरा फेरी हुई है। वही पार्टी कार्यकर्ताओं के जनमानस को समझते हुए समय चलते टिकट बदलकर इसे दूर किया जा सकता है।
मेवाड़ - वागड़ में प्रत्याशी उतारने पर बिगाड़ सकता है सियासी समीकरण
ऐसी स्थिति में इधर मेवाड़ की हॉट सीट माने जाने वाली वल्लभनगर विधानसभा में मंगलवार देर शाम को जनता सेना राजस्थान की राजमहल भींडर में हुई बैठक अहम मानी जा रही है। मंगलवार को हुई राजमहल में कार्यकर्ताओं की बैठक में रायशुमारी के साथ में पूर्व विधायक एवं जनता सेना सुप्रीमो रणधीर सिंह भींडर के दिए हुए उद्बोधन से कई मायने निकाले जा रहे हैं । जनता सेना सुप्रीमो रणधीर सिंह भिंडर द्वारा जनता सेना से 14 सीटो पर प्रत्याशी के उतरने का भी जिक्र हुआ। वही 4 नवंबर को वल्लभनगर में नामांकन भरने का भी ऐलान हुआ है।
जनता सेना की भिंडर में हुई बैठक के बाद शबनमी सर्दी में सियासी पारा चढ़ता हुआ नजर आ रहा है।
वहीं अगर प्रत्याशी उतरते हैं तो कहीं ना कहीं मेवाड़ का राजनीतिक मिजाज भी बदल सकता है। हालांकि भिंडर ने अपने उद्बोधन में 30 अक्टूबर तक आला कमान को अल्टीमेटम के माध्यम से समय दिया है । उन्होंने यह भी साफ-साफ तौर पर कर दिया है कि अगर भाजपा को हमारी जरूरत होगी तो हमसे बात करेगी अपनी तरफ से जनता सेना राजस्थान का पारदर्शिता रखते हुए चुनाव लड़ने की ताल ठोक दी है। मेवाड़ के अगर राजनीतिक समीकरण और अंदरूनी खाने को देखें तो प्रत्याशी उतारने पर मेवाड़ वागड़ की कई सीटों पर भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
भिंडर ने अपने उद्बोधन में साफ-साफ जिक्र किया कि उदयपुर शहर, उदयपुर ग्रामीण , चितौड़गढ़ , बीकानेर, चौरासी , डूंगरपुर, बेंगू , गोगुंदा, कपासन , सलूंबर ,बड़ीसादड़ी, सहित अन्य सीटों से जनता सेना के प्रत्याशी के रूप में ताल ठोकेंगे।
कांग्रेस का पथ भी सहज नहीं ---
दिवंगत विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत के निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रीति शक्तावत को प्रत्याशी बनाया वही जीत हासिल की। लगभग 18 महीना तक प्रीति शक्तावत का विधायक के रूप में कार्यकाल रहा है ।
वल्लभनगर विधानसभा के अंदरूनी राजनीति को अगर गहराई से देखें तो उनके ही खेमे के नेताओं द्वारा मीडिया के माध्यम से जारी बयानों के आधार पर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है । दिवंगत विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत के करीबी रहे वही उपचुनाव में प्रीति शक्तावत अहम सिपहसालार कुंदन सिंह कछेर मीडिया के सामने दिए गए बयानों से साफ जाहिर होता है कि कहीं ना कहीं कांग्रेस के अंदरूनी खानों में भी अंतर्कलह नजर आ रही है । वहीं कच्छेर द्वारा मीडिया में दिए गए बयानों में उन्होंने साफ-साफ तौर पर कहा है की दिवंगत विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत सचिन पायलट गुट के थे वहीं प्रीति शक्तावत चुनाव जीतने के बाद गहलोत गुट में चली गई जिससे कार्यकर्ताओं के मन को ठेस पहुंचा है। वर्तमान में वल्लभनगर विधायक प्रीति शक्तावत उपचुनाव में जिन्होंने उनके लिए तन मन धन से साथ दिया उनको दरकिनार कर अपने ही विपक्षियों के साथ समझौता कर वर्तमान विधानसभा 2023 चुनाव को लेकर के रणनीति बना रही है जिससे कार्यकर्ताओ के स्वाभिमान के साथ खिलवाड़ भी हुआ है । इधर किसान नेता कुबेर सिंह चावड़ा भी विधायक प्रीति शक्तावत से राजनैतिक तौर अलग-थलग नजर आ रहे हैं। वही सोशल मीडिया के माध्यम से यहां तक जिक्र कर चुके हैं कि अगर टिकट उन्हें नहीं मिलता है तो वल्लभनगर में दो दो हाथ करने के लिए भी तैयार हैं। चावड़ा वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र के युवाओं एवम किसानों पर अच्छी खासी पकड़ रखते हैं। गौरतलब है कि पंचायती राज चुनाव के दौरान भी चावड़ा कांग्रेस पार्टी लाइन से अलग होकर के कुबेर सेना बना के निर्दलीय चुनाव लड़ा करके चार निर्दलीय पंचायत समिति सदस्य भी जिताए है । हालांकि पार्टी द्वारा अनुशासनहीनता की कोई कार्यवाही नहीं हुई। अगर समय चलते आला कमान चावड़ा को पक्ष में नहीं लेता है तो कहीं ना कहीं कांग्रेस की राह भी आसान नजर नहीं आ रही है। हालांकि विधायक प्रीति शक्तावत 18 माह तक विधानसभा क्षेत्र वल्लभनगर में कराए गए विकास कार्यों एवम सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के आधार पर चुनावी मैदान में दम खम के साथ उतरने को तैयार हैं ।
जनता सेना से खत्म हुई भाजपा के मुरझाए कमल को उदयलाल के नेतृत्व में मिली संजीवनी,
पार्टी के बेवफाई के बाद थामा राष्ट्र लोकतांत्रिक पार्टी का दामन
2013 में तत्कालीन विधायक रणधीर सिंह भिंडर का भाजपा से टिकट कटने के बाद जनता सेना बनी । वहीं रणधीर सिंह भिंडर निर्दलीय चुनाव जीते। जिससे वल्लभनगर में भाजपा हासिये पर आ गई। 2018 में उदय लाल डांगी द्वारा भाजपा की कमान संभालने पर फिर से भाजपा को वल्लभनगर में खड़ा किया । हालांकि चुनाव नहीं जीत पाए। लेकिन वल्लभनगर में अच्छा खासा जन आधार तैयार करने से भाजपा के कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारी के अंदर एक आस जगी। डांगी इस क्षेत्र में ओबीसी वर्ग का सबसे बड़ा नेता है । जिनका मावली, वल्लभनगर के साथ-साथ आसपास की सीटों पर भी अच्छा खासा प्रभाव सामाजिक स्तर पर देखा जा सकता है।
2021 में उपचुनाव के दौरान डांगी का भाजपा से टिकट कटने के बाद कार्यकर्ताओं में फिर वल्लभनगर से भाजपा का विधायक बनने की आप मुरझाई। वही उद्योगपति हिम्मत से झाला की झोली में भाजपा का टिकट मिला। इधर राजनीतिक लाभ उठाते हुए और रालोपा सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने डांगी से संपर्क साधा।
डांगी राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित करने के लिए रालोपा का दामन थामा । वही उपचुनाव में रालोपा के चिन्ह पर चुनाव लड़कर दूसरे नंबर पर आकर के भाजपा आला कमान तक यह संदेश पहुंचा दिया की टिकट वितरण का गलत निर्णय था। वही उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी हिम्मत सिंह झाला की जमानत जप्त हुई। उपचुनाव के दौरान राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल लगभग एक महीने तक विधानसभा क्षेत्र में जनसभाओं के माध्यम से यहां की समस्याओं से आमजन को रूबरू करवाया । वहीं राजनीतिक दृष्टिकोण के दाव पेंच अपनाते हुए रालोपा को दूसरे नंबर पर लाकर के यह साबित कर दिया की बेनीवाल राजनीतिक चातुर्य के महारथी है। विधानसभा चुनाव 2023 में भी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से उदयलाल डांगी ने वल्लभनगर से ताल ठोक दि हैं। वहीं रालोपा मेवाड़ का संभाग प्रभारी होने के नाते 28 सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर के भी ऐलान कर चुके है। अगर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी 28 सीटों पर चुनाव लड़ती है तो कहीं ना कहीं भाजपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
जमानत जप्त के बाद भी हिम्मत सिंह ने नहीं हारी हिम्मत
वल्लभनगर में उपचुनाव के दौरान भाजपा से प्रत्याशी रहे हिम्मत सिंह झाला की भाजपा से जमानत जप्त हुई। हालांकि उसके बाद भी वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र में विभिन्न समस्याओं के निस्तारण को लेकर के हिम्मत सिंह झाला मैदान में डटे रहे। वही कार्यकर्ताओं एवं पार्टी पदाधिकारीयो से समय-समय पर संपर्क साधते हुए पार्टी को मजबूत करने के लिए हर एक प्रयास जारी रखा।इसी तहत हाल ही में पिछले दिनों वरिष्ठ मातृशक्ति की उज्जैन महाकाल यात्रा के माध्यम से लगभग 28000 महिलाओं को महाकाल उज्जैन दर्शन लाभ के माध्यम से वोट बैंक को साधने का प्रयास किया। वल्लभनगर में कमजोर भाजपा को मजबूत करने के लिए हर एक प्रकार का प्रयास किया । इसी तहत महाकाल प्रसाद वितरण एवं आपणो बेटों आप रे द्वार के तहत घर-घर जाकर के आम कार्यकर्ताओं एवं जनमानस को टटोलते हुए नजर आए हैं । हालांकि विधानसभा चुनाव 2023 में पार्टी ने अभी वल्लभनगर सहित मेवाड़ की कुछ सीटों पर टिकट वितरण के पत्ते नहीं खोले हैं । लेकिन अभी भी उनके समर्थक एवं स्वयं 2023 विधानसभा वल्लभनगर से भाजपा की टिकट पर दावेदारी के लिए अड़े हुए हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा पिछले दिनों केदारिया महादेव मंदिर प्रांगण में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन के माध्यम से विधानसभा प्रभारी हिम्मत सिंह झाला पर सीधा निशाना साधते हुए वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ताओं को दरकिनार करने एवं पार्टी को निजी प्राइवेट लिमिटेड बनाने तक के आरोप लग चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं लोकसभा चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी के करीबी माने जाने वाले हिम्मत सिंह झाला वल्लभनगर में भाजपा का जनाधार कितना बना पाते हैं यह चुनाव के नतीजे के ऊपर निर्भर करता है।