भगवान दत्तात्रेय के 24 गुरु और उनकी मनुष्य जीवन में उतारने की शिक्षा
पृथ्वी से सीखें सहनशीलता, कबूतर मोह से बचने का संदेश देते हैं और मछली लालच में न फंसने को देती है सीख
आज मंगलवार 26 दिसंबर भगवान दत्तात्रेय का प्रकट उत्सव है। पुराने समय में मार्कशीर्ष यानी अगहन माह की पूर्णिमा पर भगवान दत्तात्रेय का अवतार हुआ था। दत्तात्रेय ऋषि अत्रि और अनुसूइया के पुत्र रूप में प्रकट हुए थे। भगवान दत्तात्रेय ने 24 गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की थी ।दत्तात्रेय और उनके गुरुओं की सीख को जीवन में उतारने से हमारी सभी दिक्कतें दूर हो सकती है। और जीवन में सुख शांति मिल सकती है ।
जानिए दत्तात्रेय की 24 गुरु और उनकी सीख
1.पृथ्वी-सहनशीलता पृथ्वी से सीखें। पृथ्वी अच्छे बुरे हर प्राणी का भार एक समान सहन करती है
2.पिंगला वेश्या -उस समय यह पिंगला नाम की वेश्या थी। दत्तात्रेय ने उससे सीख ली थी कि सिर्फ पैसों को महत्व नहीं देना चाहिए ।जब पिंगला के मन में बैराग्य जागा तो उसे समझ आया कि सच्चा सुख पैसों से नहीं बल्कि परमात्मा के ध्यान में है।
3.कबूतर- एक दिन दत्तात्रेय में देखा कि कबूतर का जोड़ा जाल में फंसे बच्चों को देखकर खुद भी जाल में फंस गया ।कबूतरों के जोड़े से दत्तात्रेय ने यह सीख ली कि बहुत ज्यादा मोह दुःख का कारण है।
4.सूर्य- दत्तात्रेय ने सूर्य से संदेश लिया कि सूर्य अलग-अलग माध्यमों से अलग-अलग तरह का दिखाई देता है। हमारी आत्मा भी एक ही है, लेकिन यह भी सूर्य की तरह ही कई रूपों में दिखाई देती है।
5.वायु- जिस तरह अच्छी या बुरी जगह पर बहने के बाद वायु का मूल रूप नहीं बदलता है, ठीक उसी तरह अच्छे या बुरे लोगों के साथ रहने पर भी हमें अपने गुण छोड़ना नहीं चाहिए।
6.हिरण- हिरण से यह सीखें कि हमें कभी भी मौज मस्ती में इतना लापरवाह नहीं होना चाहिए कि हम परेशानियों में फंस जाएं । हिरण मौज मस्ती में इतना खो जाता है कि उसे आसपास शेर के होने का आभास ही नहीं होता है।
7.समुद्र- समुद्र की तरह ही हमें भी उतार-चढ़ाव की वजह से रुकना नहीं चाहिए। हमें हर स्थिति में आगे बढ़ते रहना चाहिए।
8.पतंगा- पतंगा आग की ओर आकर्षित होता है, और जल जाता है। हमें इससे सीख लेनी चाहिए कि कभी भी मोह में फंसना नहीं चाहिए।
9.हाथी- हाथी हथनी के संपर्क में आते ही उस पर मोहित हो जाता है और सब कुछ भूल जाता है ।हाथी से सीख लें कि सन्यासी को स्त्रियों से बहुत दूर रहना चाहिए, वरना वह अपने तप से भटक सकता है।
10.आकाश- आकाश से सीख सकते हैं कि हर स्थिति में एक समान रहना चाहिए। देश, काल, परिस्थिति जैसे भी आकाश एक समान रहता है।
11.जल- दत्तात्रेय ने जल से सीखा था कि हमें हमेशा पवित्र रहना चाहिए।
12.छत्ते से शहद निकालने वाला-मधुमक्खियां शहद इकट्ठा करती है और एक दिन छत्ते से शहद निकालने वाला सारा शहद ले जाता है। इस बात से यह सीखा जा सकता है कि आवश्यकता से अधिक चीजों को एकत्रित नहीं करना चाहिए, वरना कोई दूसरा उन चीजों को हमारे पास से ले जाएगा।
13.मछली- स्वाद का लोभ ना रखें ।मछली किसी कांटे में फंसे मांस के टुकड़े के लोभ में आकर खुद कांटे में फंस जाती है।
14.कुकर पक्षी- कुरर पक्षी से सीखें कि किसी चीज को हमेशा अपने पास रखने की सोच छोड़ देना चाहिए। कुरर पक्षी मास के टुकड़े को चोंच में दबाए रहता है। लेकिन उसे खाता नहीं है। दूसरे बलवान पक्षी उसे मांस के टुकड़े को छीन लेते हैं।
15.बालक- छोटे बच्चों से सीख लें कि परिस्थितियां कैसी भी हो ,हमेशा चिंता मुक्त और प्रसन्न रहें।
16.आग -आग अलग-अलग लड़कियों के बीच रहने के बाद भी एक जैसी ही नजर आती है। हमें भी परिस्थिति के हिसाब से ढल जाना चाहिए।
17.चंद्रमा- चंद्रमा घटने- बढ़ने से भी चंद्रमा की चमक और शीतलता बदलती नहीं है, ठीक इसी तरह हमारी आत्मा भी बदलती नहीं है।
18.कुमारी कन्या-दत्तात्रेय ने कुमारी कन्या से सीख ली कि बिना शोर किए अपना काम करते रहें ।दत्तात्रेय ने धान कूटती हुई एक कन्या को देखा। धान कूटते समय उस कन्या की चूड़ियां आवाज कर रही थीं ।तब उस कन्या ने चूड़ियों की आवाज बंद करने के लिए चूड़ियां ही तोड़ दीं ।दोनों हाथों में बस एक-एक चूड़ी रहने दी। इसके बाद कन्या ने बिना शोर किए धान कूट लिया।
19.शरकृत या तीर बनाने वाला- दत्तात्रेय ने एक तीर बनाने वाले को देखा जो की तीर बनाने में इतना खोया हुआ था कि उसके पास से राजा की सवारी निकल गई ,लेकिन उसे मालूम ही नहीं हुआ। हमें भी अपने काम में खोए रहना चाहिए।
20.सांप -दत्तात्रेय ने सांप से सीखा कि किसी भी संन्यासी को अकेले ही जीवन व्यतीत करना चाहिए और जगह-जगह ज्ञान बांटते रहना चाहिए।
21.मकड़ी- मकड़ी जाल बनती है, उसमें रहती है और अंत में पूरे जल को खुद ही निगल लेती है। भगवान भी अपनी माया से सृष्टि की रचना करते हैं और अंत में उसे समेट लेते है।
22.भृंगी कीड़ा- इस कीड़े से दत्तात्रेय ने सीखा कि अच्छी या बुरी जहां जैसी सोच में मन लगाएंगे मन वैसा ही हो जाता है।
23.भौरा या मधुमक्खी- मधुमक्खी और भौंरे अलग-अलग फूलों से पराग ले लेते हैं, हमें भी जहां से सार्थक बात सीखने को मिले उसे ग्रहण कर लेना चाहिए।
24.अजगर -अजगर से संतोष में रहना सीखना चाहिए।