रामलीला मंचन :- सीता स्वयंवर में झलका प्रेम रस, श्रीराम ने धनुष तोडा
तखतगढ़ / बरकत खा
तखतगढ़ पालिका क्षेत्र अयोध्या और राम मंदिर दोनों ही काफी चर्चा में हैं। 22 जनवरी को अयोध्या में श्री राम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। वैसे तो रामायण का हर एक प्रसंग ही मन को मोहित करने वाला है। कस्बे के कुंदेश्वर महादेव मन्दिर परिसर में रामलीला मंचन के दौर जारी है।
राम-सीता स्वयंवर मंचन- राजा जनक भगवान शिव के वंशज थे और भोलेनाथ का धनुष उनके राज महल में रखा था। एक बार महाराज जनक ने अपनी पुत्री सीता के स्वयंवर की घोषणा का साथ ये भी एलान कर दिया कि जो धनुष की प्रत्यंचा को चढ़ा देगा, उसी से मेरी पुत्री सीता का विवाह होगा। शिव धनुष कोई साधारण धनुष नहीं था बल्कि उस काल का ब्रह्मास्त्र था। उस चमत्कारिक धनुष के संचालन की विधि राजा जनक, माता सीता, आचार्य श्री परशुराम और आचार्य श्री विश्वामित्र को ही ज्ञात थी। जनक राज को इस बात का डर सताने लगा था कि अगर धनुष रावण के हाथ लग गया तो इस सृष्टि का विनाश हो जाएगा। इसलिए विश्वमित्र ने पहले ही भगवान राम को उसके संचालन की विधि बता दी थी।
जब श्री राम द्वारा वह धनुष टुट गया तभी परशुराम जी को बहुत क्रोध आया लेकिन आचार्य विश्वामित्र एवं लक्ष्मण के समझाने के बाद कि वह एक पुरातन यन्त्र था इसलिए संचालित करते ही टूट गया तब जाकर श्री परशुराम का क्रोध शांत हुआ। राम ने जब प्रत्यंचा चढ़ा कर धनुष को तोड़ा और माता सीता से उसका विवाह सम्पन्न हो गया।
दर्शक महिलाओं को बांटी मेहंदी– स्वयवर मंचन के दौरान पालिका प्रशासन ने महिला दर्शकों को मेंहदी के कोण बांटे ।वही, तिल्ली के लड्डू के प्रसाद का वितरण किया गया।