गुरु गोविंद सिंह के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य मे निकला नगर कीर्तन,हैरतअंगेज करतब बने आकर्षण का केंद्र
रामगढ (अलवर / राधेश्याम गेरा) सिक्खों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी जयंती के पावन प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में रामगढ़ कस्बे के गुरुद्वारा सिंह सभा से पांच प्यारों की अगवाई में बैंडबाजों की धुन पर भव्य नगर कीर्तन निकाला गया । नगर कीर्तन गुरुद्वारा सिंह सभा से प्रारंभ हुआ जोकि कस्बे के मुख्य बाजार से गोविंदगढ़ मोड व बस स्टैंड होते हुए वापस गुरुद्वारा पर आकर समाप्त हुआ। नगर कीर्तन का कस्बे के व्यापारियों ने जगह-जगह फूल वर्षा से स्वागत करते हुए प्रसाद वितरण किया । नगर कीर्तन में बच्चों ने व बड़े युवाओं की गतका पार्टी ने जगह-जगह हैरतअंगेज करतब दिखाकर आकर्षण का केंद्र बन गए । बता दे कि गुरु गोविंद सिंह जी ने धर्म की रक्षा के लिए अपने चार पुत्रों का बलिदान कर दिया था जिसमें दो युद्ध में मारे गए और दो को जिंदा दिवार में चिनवा दिया गया था। 1675 में 9 साल की उम्र में उनके पिता गुरु तेज बहादुर का सम्राट औरंगजेब द्वारा सर कलम कर दिया जाने के बाद उन्होंने औपचारिक रूप से सिखों के दसवें गुरु के रूप में स्थापित किया था । उनके पिता नौवें सिख गुरु थे । मुगलों से हिंदुओं की रक्षा के लिए गुरु गोविंद सिंह जी 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की उन्होंने खालसा पंथ का जो"बोले सो निहाल"सत् श्री अकाल नारा दिया था । गुरु गोविंद सिंह खालसा पंथ के प्रमुख रहे हैं इनके साथ मुगलों से लड़ने के लिए समर्पित योद्धाओं की फौजी थी । इसी के उपलक्ष्य में प्रकाश पर्व मनाया जाता है । रविवार के दिन गुरुद्वारा सिंह सभा रामगढ़ पर अखंड पाठ के भोग के बाद शब्द कीर्तन और अटूट लंगर का आयोजन किया जाएगा।
नगर कीर्तन के दौरान सेवादार व महिलाएं झाडू लगाते हुए जल छिडकते हुए मार्ग साफ करते चल रहे थे उनके पीछे पीछे पंज प्यारे BB हाथों में तलवार लिए और वाहन में सजी गुरु ग्रंथ साहिब की सवारी चल रही थी। इस दौरान गुरुद्वारा प्रधान हरपाल सिंह,ग्रंथी रविन्द्र सिंह, परमजीत सिंह,बलबीर सिंह, राजेंद्र सिंह, अजायब सिंह, कमलजीत सिंह, जसवीर सिंह सहित सैकड़ों की संख्या में सिक्ख संगत मौजूद रही।