नन्ही उम्र, बुलंद हौसलें और संस्कारों का अद्भुत संगम है जीविका केवलानी
खैरथल ( हीरालाल भूरानी )
गणतंत्र दिवस पर जिला स्तरीय कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिभाशाली व्यक्तित्वों को जिला प्रशासन द्वारा सम्मानित किया गया। इन्ही प्रतिभाशालियों में योगा के क्षेत्र में जिले का नाम रोशन करने वाली एक बालिका है जीविका केवलानी।
ज्ञात हो कि सोशल मीडिया ब्लॉगर, मोटिवेटर और स्वतंत्र पत्रकार प्रमोद केवलानी की नौ वर्षीया पुत्री जीविका चार साल की नन्ही उम्र में ही योगासनों में महारत हासिल करने लगी थी। वर्तमान में खैरथल के एस.जी. किड्स स्कूल में कक्षा चार में अध्ययनरत जीविका पांच साल की उम्र से जिला स्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने लगी थी। लगातार चार साल तक अलवर जिला स्तरीय प्रतियोगिता में अपने आयु वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त कर गोल्ड मेडल हासिल किया। लगभग साढ़े सात साल की उम्र में योगा की चक्रासन विधा में विश्व कीर्तिमान बना कर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करवाया।
अनेक सामाजिक तथा सांस्कृतिक मंचो पर सम्मानित जीविका को गत वर्ष खैरथल में अलवर जिला प्रशासन द्वारा आयोजित नारी चौपाल में रीया डाबी(IAS) तथा एसडीएम द्वारा सम्मानित किया गया था। हाल ही में विकसित भारत संकल्प यात्रा में राता खुर्द ग्राम में एसडीएम, पूर्व विधायक रामहेत सिंह यादव तथा खैरथल नगरपरिषद सभापति हरीश रोघा द्वारा भी सम्मानित किया गया।
इस प्रतिभाशाली बालिका से हमारे संवाददाता हीरालाल भूरानी ने की खास बातचीत।
प्रश्न :- जीविका सबसे पहले आपको गणतंत्र दिवस पर जिला कलेक्टर द्वारा सम्मानित किए जाने पर बधाई।
उत्तर :- धन्यवाद
प्रश्न :- जीविका आपने योगा कहा से सीखा?
उत्तर :- सर, मैं छोटी सी थी तब बहुत कमजोर थी। पापा ने बहुत डॉक्टर्स को दिखाया मगर हैल्थ सही नहीं रहती तब पापा ने घर पर योग करवाया। मेरा इंटरेस्ट देखकर पापा ने योगा गुरु हरिओम सैनी जी से बात की। उन्होंने मेरी रुचि जानकर कोचिंग देना शुरू किया। दो महीने में ही मेरी हैल्थ एकदम ठीक हो गई। मै पहले सही तरीके से चल नहीं पाती थी, कमजोरी की वजह से थकान होने लगती थी। योगा के बाद मै दौड़ने लगी। हार्ड एक्सरसाइज करने लगी। मेरी डाइट भी ठीक होने लगी।
प्रश्न :- आपको योगा कोचिंग से कितना फायदा हुआ?
उत्तर :- बहुत ज्यादा। शुरूआत में तो पापा घर में योगासन करवाते थे। क्योंकि मेरे पापा भी खेलप्रेमी है तथा अपने स्कूल व कॉलेज टाइम में कई खेलों में भाग लेते थे और योगा भी लगातार करते आ रहे हैं। मगर जहां तक तकनीक की बात है तो आपको सही कोच की जरूरत पड़ती ही है। हरिओम सैनी सर स्वयं इंटरनेशनल खिलाड़ी रहे हैं। कई खेलों में पारंगत हैं और हर खिलाड़ी को शारीरिक के साथ मानसिक और तकनीकी रूप से भी कोचिंग देते हैं। उनकी कोचिंग से निकले कई बच्चों ने विभिन्न रिकॉर्ड्स बनाए हैं।
प्रश्न :- आपकी सफलता का श्रेय आप किसको देना चाहेंगी?
उत्तर :- मेरे जीवन में सबसे बड़ा प्रभाव मेरी दादी, मेरे बड़े मम्मी-पापा, मम्मी-पापा और मेरे नन्हें से छोटे भाई रूद्र का है। मेरे कोच हरिओम सर वो हम सब बच्चों के पिता तुल्य है। इसके अलावा हमारे स्कूल के डायरेक्टर मितेश लालवानी सर और पुष्कर आचार्य सर हमेशा हमको प्रेरित करते रहते हैं। प्रेक्टिस के लिए स्कूल ग्राउंड हमेशा बच्चों के लिए उपलब्ध करवाते रहते हैं। इसके अलावा भारती हेड़ाऊ मैम, मुस्कान लोढा मैम, रीया मैम, नेहा और कीर्ति मैम बहुत सहयोग करती है। टूर्नामेंट्स के लिए यदि बाहर जाना पड़ता है तो कोर्स मिस ना हो इसके लिए स्कूल टीचर्स का सहयोग रहता है। मै अब तक अर्जित की गई सफलता का श्रेय इन सबको देना चाहूंगी।
प्रश्न :- आप भविष्य में क्य बनना चाहती है?
उत्तर :- मैंने छोटे होते से ही प्रशासनिक अधिकारियों को देखती रही हूं। पापा से इनके बारे में जानती रहती हूं। इसलिए मैं भी आईएएस बनने का तो सोचती हूं, बाकी सब ईश्वर और भविष्य के हाथ में है। हम सिर्फ मेहनत कर सकते हैं।
प्रश्न :- सुना है आपको कई धार्मिक स्तोत्रो और प्रसंगों की भी जानकारी है?
उत्तर :- मेरे पापा अक्सर हम दोनों भाई बहनों को श्रीरामचरितमानस और श्रीमद्भागवत के प्रसंग सुनाते रहते हैं। बस वही से सारी जानकारी मिल जाती है।
प्रश्न :- आप अभी बहुत छोटी है और कक्षा चार में पढ़ती है, फिर भी यदि आपको बच्चों को कोई संदेश देना हो तो क्या कहना चाहेंगी?
उत्तर :- मेहनत करो। मेरे बड़े पापा कहते हैं मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। कड़ी मेहनत करो, अपने बड़ों का सम्मान करो और टीचर्स व गुरुओं की आज्ञा मानो तो सब कुछ संभव है।
जी एक्सप्रेस न्यूज:- आपको सफलतम भविष्य के लिए शुभकामनाएं।
उत्तर :- आप सबका हार्दिक आभार