निरंकारी समागम का आनंदित रूप में सफलतापूर्वक समापन: दिव्या गुणों से युक्त होकर सच्चे मनुष्य बने सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
खैरथल ( हीरालाल भूरानी )
प्रीत नम्रता मिठास जैसे दिव्या गुना को अपनाकर मन वचन कम से हम सच्चे इंसान बने यह पवन प्रवचन निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने नागपुर में आयोजित तीन दिवसीय निरंकारी संत समागम के समापन सत्र में उपस्थित साथ संगत को संबोधित करते हुए व्यक्त किया ।यह दिव्य संत समागम अपनी अनुपम छटा बिखरते हुए हर्ष उल्लास पूर्वक वातावरण में संपन्न हुआ
संत निरंकारी मंडल खैरथल की मीडिया सहायक कविता आहूजा ने बताया कि इसी क्रम में अलवर जिले से गए श्रद्धालु भाई बहन भी सतगुरु माता जी से आशीर्वाद प्राप्त कर सकुशल वापस लौट रहे हैं।
सदगुरु माताजी ने समर्पण की सच्ची भावना का जिक्र करते हुए फरमाया कि जब हम अब अपनी अहंकार को तजकर पूर्ण समर्पित भाव से इस परमात्मा से जुड़ जाते हैं तब हमारे अंतर्मन को सही अर्थों में शांति एवं अलौकिक आनंद की अनुभूति प्राप्त होती है। समागम के तीसरे दिन का मुख्य आकर्षण एक बहु भाषा कवि दरबार रहा ।जिसमें सुकून अंतर मन का विषय पर मराठी हिंदी कोंकणी पंजाबी भोजपुरी अंग्रेजी उर्दू भाषा में 22 कवियों ने अपनी कविताएं प्रस्तुत की ।
समागम के अंतिम सत्र में संत निरंकारी मंडल के मेंबर इंचार्ज मोहन छाबड़ा ने सतगुरु माता जी एवं निरंकारी राज पिताजी का नागपुर की नगरी में संत समागम की सौगात प्रदान करने के लिए हृदय से आभार प्रकट किया।