जहाजपुर मे नही लगती जिंसों की नीलामी बोली, ठेके कर्मियों के भरोसे मंडी
जहाजपुर (आज़ाद नेब) कृषि उपज मंडी में सात व्यापारियों को दुकानें आवंटित है। लेकिन व्यापारियों द्वारा किसानों के जिंसों की नीलामी बोली नहीं लगाई जाती है। किसानों की जिंसों को बाजार से कम भाव लेकर लुटा जा रहा है। जिससे कृषि उपज मंडी केवल खरीद केंद्र बन कर रह गई है। गेट पास भी ठेके कर्मियों द्वारा ही दिया जाता है।
शाहपुरा जिले के सबसे बड़े क्षेत्र की मंडी में सरसों की लेब मशीन नहीं है, किसानों की जिंसों को रखने के लिए सुरक्षित स्थान नहीं है, मंडी में किसानों के बैठने, खाने की कोई व्यवस्था नहीं है यानी मंडी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।
सुत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कृषि उपज मंडी में यूडीसी, एलडीसी, चौकीदार, सफाई कर्मी के सभी पद रिक्त है संविदा कर्मी राधेश्याम बैरागी को लगा रखा है जो सप्ताह में एक दिन आकर मंडी में आने जाने वाले जिंसों का गेट पास के आधार पर विक्रय पर्चियां बना कर मंडी टैक्स लेकर चले जाते हैं। जहाजपुर की कृषि उपज मंडी ठेके कर्मियों के भरोसे चल रही है। खाद्य विभाग ने राजफेड को गेहूं खरीद के लिए राज्य में 210 केन्द्र आवंटित किए है। जिसमें जहाजपुर की गौण मंडी भी शामिल है।
गौरतलब है कि प्रदेश की मंडियों में राजफेड द्वारा 10 मार्च से समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद शुरू करेगा। किसानों से 2400 रु. प्रति क्विंटल की दर से गेहूं का भुगतान होगा। समर्थन मूल्य 2275 रु. प्रति क्विंटल के अतिरिक्त इस बार राज्य सरकार के 125 रु. प्रति क्विंटल बोनस सहित भुगतान किया जाएगा। खाद्य विभाग ने राजफेड को गेहूं खरीद के लिए 210 केन्द्र आवंटित किए है।
मंडी सेकेट्री कांतिलाल मीणा ने बताया कि सरसों की लेब मशीन का प्रपोजल भिजवा दिया गया है जल्द ही मंडी में ही लेब रिपोर्ट होगी। किसानों द्वारा मंडी में लाने वाले जिंस की सुरक्षा के लिए नया सुविधा युक्त प्लेटफार्म बनाने के लिए जल्द ही स्टीमेट तैयार करवा कर भेजा जाएगा।