जैन समाज महुवा ने दी संत शिरोमणि श्री विद्यासागर जी के भावभीनी श्रद्धांजलि
महुवा , दौसा (अवधेश अवस्थी)
श्री सकल जैन समाज महुवा के तत्वाधान में मंगलवार को सुबह 10:00 बजे महुआ कस्बे के प्राचीन जैन धर्मशाला में युग दृष्टा, राष्ट्रीय हित चिंतक, संत शिरोमणि आचार्य प्रखर 108 श्री विद्यासागर जी म. सा. का चंद्रगिरी तीर्थ डोंगरगढ़ में समाधि के बाद विनयांजलि गुणानुबाद सभा का आयोजन किया गया।
इस दौरान अशोक जैन ने गुणानुवाद में कहा कि आचार्य महान तपस्वी एवं उच्च कोटि के साधन थे। उन्होंने 55 वर्षों तक कठोर संयम व्रत का पालन किया। आपने आजीवन चीनी, नमक, चटाई, हरी सब्जी, दही, तेल, सूखे मेवा आदि का त्याग किया। आपकी पावन दीक्षा में लगभग 400 दिगंबर साधु की दीक्षा हुई। आप अनेक भाषाओं के विशेषज्ञ थे। संस्कृत, हिंदी, कन्नड़, मराठी आदि अनेकों भाषाओं में कई रचनाओं की हैं। आपने 'काव्य मुक्ति' की रचना की, जो विभिन्न संस्थाओं में स्नातक उत्तर हिंदी के पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाती है। उन्होंने बताया कि विश्व को सत्य अहिंसा का मार्ग पर दिखाकर आत्मिक बोध कराने वाले आचार्य विद्यासागर जी के बताए मार्ग पर चलना ही सच्ची श्रद्धा भक्ति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। आपके देवलोक गमन से जैन समाज को एवं अन्य समाजों को अपूरपनीय क्षति हुई है। सकल जैन समाज महुवा की ओर से भावभीनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गई एवं आपके संयम से सुशोभित आत्मा को मोक्ष प्रदान करने की प्रभु के मौन प्रार्थना की। इस अवसर पर सुमित जैन राजेंद्र जैन आदित्य जैन जिनेंद्र जैन ने भी अपने विचार प्रकट किया।
इस अवसर पर महावीर प्रसाद, सुमित चंद, विमल चंद, संजय, नरेंद्र, शंभू, भगवान सहाय, विजय, विक्की, बाबू, राजकुमार, दिनेश, पवन, अभिषेक, अजय, विजय, शीतल, सुरेंद्र आदि मौजूद थे। साथ ही इंदिरा, रजनी, मीना आदि सहित अन्य महिला पुरुष सहित सैकड़ो श्रद्धालु अपने श्रद्धांजलि अर्पित की।