भूतेश्वर महादेव मंदिर में उमड़ा जनसैलाब,7 फीट ऊंचे शिवलिंग की हुई पूजा
नारायणपुर (भारत कुमार शर्मा)
बानसूर विधानसभा क्षेत्र में स्थित तालवृक्ष धाम लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। पौराणिक और ऐतिहासिक दोनों ही रूप से इस स्थान का विशेष महत्व है। यह नारायणपुर से करीब 10 किलोमीटर दूर अलवर रोड पर पहाड़ों की गोद में बसा यह धाम सघन वृक्षों से भरा हुआ है। यहां घूमने का समय सावन महीने में मानसून का है। जब यहां की पहाड़ियों का रंग हरा भरा हो जाता है। उस समय यहां की झीले पानी से भर जाती है और पहाड़ियों से झरने बहने लगते हैं। इस स्थान पर ताल, अर्जुन, खजूर वृक्ष बहुत ज्यादा होने के कारण इसका नाम तालवृक्ष रखा गया था।
यहां पर अर्जुन के आराध्य देव की 7 फीट ऊंची शिवलिंग है, जिसे भूतेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। यह शिवलिंग जिस मंदिर में स्थापित है। उस गुंबद में अनेक देवताओं की मूर्तियां तराशी हुई है। बताया जाता है कि यह प्राचीन भूतेश्वर महादेव मंदिर में स्थित शिवलिंग पृथ्वी के अंदर से निकला था। इस शिवलिंग के ऊपर एक गोल मुकुट रखा गया है। यह मुकुट कोकनवाड़ी किले से लाया गया था।
लोगों का मानना है कि यहां भगवान शिवलिंग के रुप में विराजमान है और लोगों की मनोकामना पुरी करते है। पिछले साल मंदिर की पर बिजली गिर गई थीं लेकीन शिवलिंग को कुछ भी नही हुआ। यहां महाशिवरात्रि के दिन हजारों की संख्या में भक्त शिवलिंग पर जल चढ़ाकर मनोकामना पूरी करते है।
पांडवों ने छिपाए थे हथियार
यह स्थान महाभारत से भी जुड़ा हुआ है कहते हैं कि महाभारत काल में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान अपने हथियारों को तालवृक्ष में ताल के विशाल और ऊंचे पेड़ों में छुपा दिया था। यहां से विराटनगर जाकर विराट के राजा की सेवा की थी। तालवृक्ष में है गर्म और ठंडे पानी के कुंड तालवृक्ष धाम में मुख्य आकर्षण का केंद्र गर्म व ठंडे पानी के कुंड हैं। पहले यह कुंड कच्चे थे, लेकिन नारायणपुर के तत्कालीन महाराज राम सिंह ने इनका जीर्णोद्धार करवाया। मान्यता है कि यहां गरम पानी के कुंड में स्नान करने से चर्म रोग दूर होते हैं।
तालवृक्ष में गंगा माता का मंदिर भी है, जो कि अपने आप में अनूठा मंदिर है। गंगा माता की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा आमेर के राजा रामसिंह के शासनकाल में बाबा पूर्ण दास ने कराई थी। लेकिन देवस्थान विभाग की अनदेखी के कारण मंदिर की सार संभाल नहीं हो पा रही है। यह मंदिर मध्यम श्रेणी का है।
पर्यटकों के आकर्षण का केंद है तालवृक्ष धाम तालवृक्ष धाम
पुरातत्व विभाग, देवस्थान विभाग, पर्यटन विभाग एवं वनविभाग के अधीन रहते हुए भी खंडहर के रूप में तब्दील होता जा रहा है। यहां 20-25 छतरियां थी, जो टूटकर अपना अस्तित्व खो चुकी है। वर्तमान में यहां 8 से 10 छतरियां बची हुई है। पिछली सरकार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट 2023-24 में तालवृक्ष के सौंदर्य करण करने की घोषणा की गई थीं लेकिन अभी तक कार्य शूरू नही किया गया है।