महिलाओं ने की आंवले वृक्ष की पूजा
लक्ष्मणगढ़ (अलवर ) आज आंवला एकादशी पर बुधवार को श्री शनि धाम मंदिर बिजली घर के पास जालूकी रोड स्थित महिलाओ ने आवले के वृक्ष का पूजन विधि विधान से किया। शनि मंदिर पुजारी योग शिक्षक लोकेश कुमार ने बताया कि आंवले के वृक्ष की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति मिलती है। वैसे तो हिंदू धर्म में कई व्रत आते है, लेकिन एकादशी का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि हर एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है, जो कि महीने में दो बार आती है। लेकिन फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे आमलकी एकादशी कहते है। आज के दिन जो व्यक्ति पूरी विधि-विधान से व्रत का पालन करता है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आमलकी का मतलब आंवला से होता है। पद्म पुराण के अनुसार आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु का प्रिय वृक्ष माना जाता है। इस वृक्ष में श्री हरि और माता लक्ष्मी का वास होता है। जिस कारण से आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। इस दिन आंवले का उबटन लगाने, आंवले के जल से स्नान करने, आंवला पूजन करने, आंवले का भोजन करने और आंवले का दान करने की सलाह दी जाती है। कस्बे में शनि मंदिर स्थित महिलाओं ने आवले के वृक्ष के नीचे विधि विधान से भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी का पूजन कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद लिया।
- कमलेश जैन