जीवन को नई दिशा, ऊर्जा एवं सकारात्मकता दे गया महाराष्ट्र का 54 वां निरंकारी संत समागम
वास्तविक मनुष्य बनने के लिए मानवीय गुणों को अपनाना आवश्यक - सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
खैरथल (अलवर,राजस्थान/ हीरालाल भूरानी) “यदि हम वास्तव में मनुष्य कहलाना चाहते हैं तो हमें मानवीय गुणों को अपनाना होगा इसके विपरीत यदि कोई भी भावना मन में आती है तो हमेशा उनका मूल्यांकन करना होगा हम कहां पर गलत है। "यह प्रेरणादायक विचार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने महाराष्ट्र के 54 वे प्रादेशिक निरंकारी संत समागम के समापन पर व्यक्त किए। संत निरंकारी मंडल खैरथल की मीडिया सहायक सोनम प्रेमी ने बताया कि समागम के प्रथम दिन सतगुरु माता सुदीक्षा जी ने अपनी दिव्य वाणी में फरमाया कि ईश्वर को हम किसी भी नाम से संबोधित करें यह तो सर्वव्यापी है और हर किसी की आत्मा इस निरंकार परमात्मा का ही अंश है दूसरे दिन का शुभारंभ सेवादल रैली द्वारा किया गया।तीसरे दिन का मुख्य आकर्षण बहुभाषी कवि दरबार रहा जिसका शीर्षक ‘स्थिर से नाता जोड़ के मन का जीवन को हम सहज बनाएं' था ।समागम के तीनों दिन महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों से तथा आसपास के राज्य एवं देश विदेशों से भी संतों ने सम्मिलित होकर अपने भावों को अभिव्यक्त किया तथा भक्ति पूर्ण रचनाओं द्वारा मिशन की विचारधारा पर आधारित सारगर्भित संदेश दिया।