शिक्षा से वंचित घुमंतू परिवारों के बच्चे:परिजन छोटे बच्चों से मंगवाते भीख
रामगढ,अलवर (राधेश्याम गेरा)
सरकार द्वारा भले ही शिक्षा से जोड़ने के लिए विभिन्न योजनाए क्रियान्वित कर महिला बच्चो को साक्षर करने के लिए करोड़ो रुपए खर्च कर रही है लेकिन सरकार की सभी योजनाए धरातल पर कारगर साबित नहीं हो रही है दस वर्ष से अधिक समय से राज्य में शिक्षा का अधिकार लागू होने के बावजूद आज भी छोटी छोटी बालिकाओं को उनके अभिभावक भीख मांगने के भेज रहे हैं। जिससे साफ नजर आता है कि शिक्षा के अधिकार नियम को अभिभावक और प्रशासन गम्भीरता से नहीं ले रहा।
इसीलिए आज भी निर्धन और घुमंतू परिवार के लोगों द्वारा छोटे छोटे बच्चों को भीख मांगने के भेज दिया जाता है।
ऐसा ही नजारा आज रामगढ थाना क्षेत्र के कस्बा अलावडा के मैन बाजार में देखने को मिला यंहा आज प्रातः 9:15 से 9:30 के बीच पहले करीब आठ वर्षिय बालिका दस पांच रुपये की भीख मांगती नजर आई फिर उसके कुछ समय बाद करीब पांच वर्षिय बालिका भीख मांग रही थी तब पत्रकार राधेश्याम गेरा ने बालिका से नाम पूछा तो उसके द्वारा अंजली बताया गया फिर पूछा कि पढने क्यों नहीं जाती भीख क्यों मांग रही हो तो इसके जवाब में बताया कि बाबा (पिता) भेजते है भीख मांगने। पिता का नाम पूछने पर बताया कि पिता का नाम ध्यान नहीं भूल गई हूं। उसके कुछ समय बाद महिला दुकानदार सुमन सैनी ने भी बालिका से भीख मांगने के बजाए स्कूल जाने पर पैसे देने की बात कही लेकिन बालिका द्वारा कोई जवाब ना देते हुए भीख मांगती दिखी।
आज भी बड़े बड़े कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में खेल दिखाने वाले छोटे छोटे बच्चों की जान जोखिम में डाल बांस के ऊपर बच्चों को चलवाते और एक पतली रस्सी पर बच्चों को बैलेंस बना चलवाकर दर्शकों का मनोरंजन करते नजर आते रहते हैं। जिसका शिक्षित समाज के लोग विरोध करने के बजाए मनोरंजन करते हुए नगद राशी पुरस्कार में देते नजर आते हैं। ऐसे लोगों की हालत देख पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी कार्यवाही करने से बचते हैं।