नवनिर्मित जैन तीर्थधाम पर नौ दिवसीय अंजनशलाका महोत्सव के चतुर्थ दिवस च्यवन कल्याणक: चैदह सपनों का दर्शन विधान
अंता (बारा, राजस्थान/ शफीक मंसूरी) बारां गुणवर्धन शंखेश्वर पाश्र्वनाथ जैन श्वेतांबर तीर्थ ट्रस्ट संचालित श्री जय त्रिभुवन विमलविहार तीर्थ धाम में प्राण प्रतिष्ठा महामहोत्सव के चतुर्थ दिवस पर सुप्रभात वेला में समस्त वाद्य ष्यंत्रों की धुन द्वारा मधुरमय संगीत से प्रभु भक्ति में अदभुत वातावरण में लीन करके सभी मग्न मोहित हो गये प्राण प्रतिष्ठा महा महोत्सव के महा संयोजक श्री प्रकाशचन्द्र के संघवी सिरोड़ी वाला एवम् ट्रस्ट मण्डल के पदस्थों ने बताया कि आयोजन प्रेरक प्रमोद जैन भाया, केबिनेट मंत्री राजस्थान सरकार व तीर्थ अध्यक्ष श्रीमती उर्मिला जैन भाया जिला प्रमुख महोदया ने परम पूज्य निश्रा दाता पूज्य आचार्य श्री राजशेखर सूरीश्वरजी, श्री वीररत्नसूरीश्वरजी, श्री रत्नाकरसूरीश्वरजी, श्री विश्वरत्नसागरजी, श्री पद्मभूषणसूरीश्वरजी, श्री निपुणरत्नसूरीश्वरजी महाराजा के पवित्र सानिध्य में धर्माचार्य संजयभाई पाइप वाला व कल्पेशभाई पंडित, सिरोड़ीवाला के विशिष्ठ विधि विधान के मंत्रोच्चार से संगीत सम्राट निराला“ नरेंद्र भाई वाणीगोताजी, मुंबई के द्वारा हाड़ौती गौरव ,देवलोक सभा, कल्पवृक्ष संगमरमर श्वेत पाषाण में नवनिर्मित जिनालय में शास्त्रानुसार च्यवन कल्याणक की मूल विधी जिनालय में की गई उसमे परमात्मा के माता-पिता राजराजेश्वर श्री अश्वसेन महाराजा एवम् वामादेवी महारानी, देवलोक के अधिपति सौधर्म इंद्रदेव व पटरानी इन्द्रानी की विधिवत हर्षोल्लास के साथ स्थापना की विधि सुसंपन की गई।
श्री वाराणसी नगर के राजदरबार में साजन माजन के साथ प्रवेश किया गया। राजदरबार में सभा भरी गई। महारानी वामादेवी को रात में चैदह चवप्न आये। सखियों के द्वारा चैदह च्वपन के दर्शन कराये गये। च्वपन पाठक के द्वारा फलादेश ग्रहण किया गया। महारानी साहिबा के कुक्षी में तीर्थंकर का अवतरण/च्यवन हुआ, यह सुनकर पूरे राजदरबार व वाराणसी नगरी में अपार खुषी की बहार बहार छा गई। दोपहर विजय मुहरत में पूज्य आचार्यश्री विश्वरत्नसागर सूरीश्वरजी महाराजा का बेसते महीने का महामांगलिक का श्रवण भारत भर से पधारे हुए धर्मप्रेमियों ने किया एवम् पूज्य गुरुदेव से आशीर्वाद प्राप्त किए।
पूज्य गुरुदेव के आगामी चातुर्मास ठाकुर द्वार मुंबई में है परंतु आज लोढ़ा वल्र्ड सेंटर मुंबई के संघ सदस्य पधारे व चातुर्मास की विनती की वहाँ दो साधु भगवंतों को भेजने की जय बोलाई गई। आगामी मासिक मांगलिक तपोभूमि नासिक में रखने की विनती स्वीकार की गई। तीनों समय का स्वामिवतशालय एवं अनेको आमजनो का प्रतिभोज रखा गया। भारत भर से पधारे धर्मप्रेमियो ने तीर्थ परिसर की व विशिष्ठ आयोजन वाराणसी नगरी की भूरि भूरि अनुमोदना की ।