घाट कैनाल और रूपारेल नदी को जोडने की मांग को लेकर SDM कार्यालय के बाहर किया प्रदर्शन
रामगढ (अलवर, राजस्थान/ राधेश्याम गेरा) पूर्वी नहर परियोजना से घाट कैनाल और रूपारेल नदी को जोडने और ईआरसीपी राष्ट्रीय नहर परियोजना से जोड़ने की मांग को लेकर रामगढ एसडीएम कार्यालय के बाहर किया धरना प्रदर्शन।
राष्ट्रीय जल परियोजना में नदियों को एक दूसरे से जोड़ने की केन्द्र सरकार की ईआरसीपी योजना में राजस्थान के 13 जिलों में घाट कैनाल और रुपारेल नदी को जोड़ने की मांग को लेकर
रामगढ कस्बे में एसडीएम कार्यालय के बाहर भारतीय किसान यूनियन चढूनी के नेतृत्व में हारुन खान की अध्यक्षता में किसानों ने धरना प्रदर्शन किया । आंदोलन को समर्थन देने के लिए भरतपुर से भू पूर्व सांसद पंडित रामकिशन शर्मा डीग कम्हेर और नगर के किसानों के साथ पंहुचे।
धरना प्रदर्शन करने वालों को सम्बोधित करते हुए डीग के किसान मोहन सिंह गुर्जर और पंडित रामकिशन भू पूर्व सांसद ने बताया कि यह योजना 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार के समय बनाई गई थी और उस समय जिन अधिकारियों ने इस योजना को अमलीजामा देने के लिए तैयार किया था आज वही अधिकारी केंद्र में जल शक्ति मंत्रालय में बैठकर इस योजना का विरोध कर रहे हैं और राज्य सरकार को इस योजना को बंद करने के बारे में लिख रहे हैं।
जबकि वास्तविकता यह है कि केंद्र में भाजपा की सरकार और राज्य में कांग्रेस की सरकार का खामियाजा क्षेत्र की आम जनता और आम किसान को भुगतना पड़ रहा है। रामगढ़ क्षेत्र का दिन प्रतिदिन जलस्तर गिरता जा रहा है जिससे किसानों के सामने सिंचाई के लिए पानी का विशेष संकट छाया हुआ है।
केंद्र सरकार का जल शक्ति मंत्रालय लोगों को पीने के लिए पेयजल की गारंटी योजना लेकर आई है उसके तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत में करोड़ों रुपए खर्च कर बोरिंग और पाइपलाइन बिछाए जाने की योजना है जबकि क्षेत्र में कोई स्थाई नदी नहीं है जो कि हमेशा बहती रहती हो और धरती में भी जलस्तर दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है ऐसे में हर घर जल हर घर नल की योजना भी फ्लाप हो जाएगी।
भूतपूर्व सांसद पंडित राम कृष्ण ने बताया कि इस बारे में मैंने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और राजस्थान के इन 13 जिलों के 13 सांसदों से अलग-अलग फोन पर बात कर इआरसीपी योजना में घाट के नाम और रूपारेल नदी को जोड़ने का आग्रह किया है लेकिन कोई भी ध्यान नहीं दे रहा हूं जबकि हमारे राजस्थान के मुख्यमंत्री इस मामले में सकारात्मक विचार रखते हैं और वह इसके लिए तैयार भी है जबकि केंद्र में बैठे अधिकारियों ने इस योजना को बंद करने के बारे में राज्य सरकार को पत्र लिखा है उसके बावजूद भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस योजना को बंद ना करते हुए 10000 करोड रुपए स्वीकृत किए हैं लेकिन अकेले राज्य सरकार इस योजना को पूरी तरह लागू करने में समर्थ नहीं है इसके लिए क्षेत्र के किसानों को पार्टी बाजी से दूर हट कर बड़ा आंदोलन करना पड़ेगा तभी केंद्र सरकार मानेगी।
धरना प्रदर्शन के दौरान अलावडा के पूर्व सरपंच कमल चंद, किसान जसमेर सिंह, चढूनी किसान यूनियन के हारुन खान, पूर्व चिडवाई ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच रामस्वरुप, सरपंच सुरेश वर्मा डीग के मोहनसिंह गुर्जर सहित अनेक वक्ताओं ने कहा कि यदि इस योजना को लागू नहीं किया जाता है और योजना का जिस पार्टी की सरकार विरोध करेगी किसान उसका विरोध करें और उन्हें दिखा दे कि किसान एकता है क्या होती है। जबकि मध्य प्रदेश और हरियाणा में यह योजना लागू हो चुकी है। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार और केन्द्र में भाजपा की सरकार के बीच में क्षेत्र का किसान पिस रहा है।
करीब तीन घंटे धरना प्रदर्शन करने के बाद चढूनी किसान यूनियन के नेतृत्व में किसानों ने प्रधानमंत्री के नाम एसडीएम की अनुपस्थिति में तहसीलदार धीरेन्द्र कर्दम को ज्ञापन सौंपा।
इस दौरान विरेन्दर गौड, भूतपूर्व सांसद पंडित रामकिशन, चिडवाई सरपंच सुरेश वर्मा,पूर्व सरपंच रामस्वरुप, अलावडा के पूर्व सरपंच कमल चंद,इब्राहिम खान हरियाणा से, भरतपुर से इंदल जाट ,डीग से मोहनसिंह गुर्जर डीग, हारून खान ,जसमैर सिंह, ध्रुवसिंह नरुका,हरियाणा के इब्राहिम खान,जुम्माखान,तौफीक खान सहित अलावडा, मालपुर, रामगढ, सिरमौर, मांदला, निवाली,जाडोली क्षेत्र के अनेक किसान मौजूद रहे ।