भोजन थाली मेले को लेकर अभी संशय बरकरार: प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती
कामां (भरतपुर, राजस्थान) उत्तर भारत का सबसे बड़ा प्रसिद्ध भोजन थाली मेला एवं कुश्ती दंगल आयोजन को लेकर अभी संशय बरकरार है लेकिन प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती नजर आ रही है कि भोजन थाली मेले के आयोजन को किस तरीके से अंतिम रूप दिया जा सके। क्योंकि राजस्थान में दोबारा से कोरोनावायरस संक्रमण का असर दिख रहा है जिसे लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। जहां एक और कामां विधायक राजस्थान की शिक्षा राज्य मंत्री जाहिदा खान उत्तर भारत के प्रसिद्ध भोजन थाली कुश्ती दंगल को लेकर प्रयासरत हैं वहीं जिला प्रशासन एवं स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों ने राज्य सरकार के आला अधिकारियों को मेला भोजन थाली एवं कुश्ती दंगल को लेकर रायशुमारी की जा रही है। भोजन थाली मेला 2 वर्षों से कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से नहीं कराया गया था और इस बार भी शायद कोरोना संक्रमण की तलवार मेले पर लटकी हुई नजर आ रही है। मंत्री जाहिदा खान तो कुश्ती दंगल आयोजन की भरपूर कोशिश कर रही है लेकिन आला अधिकारियों के सामने लोगों की सुरक्षा बड़ी महत्वपूर्ण है क्योंकि भोजन थाली मेला एवं कुश्ती दंगल में करीब लाखों लोगों की भीड़ एकत्रित होती है अगर भीड़ में सुरक्षा एवं स्वास्थ्य संबंधी कोई खामियां रह गई तो राजनेता और प्रशासन को जवाब देना भारी पड़ जाएगा। इन महत्वपूर्ण बिंदुओं को लेकर प्रशासन के आला अधिकारी बेहद चिंतित नजर आ रहे हैं वहीं राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास भी कुश्ती दंगल आयोजन का मामला पहुंच चुका है जिसके बारे में मुख्यमंत्री कार्यालय से पूरे मामले को लेकर अधिकारियों से फीडबैक लिया जा रहा है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूरे मामले पर अपनी विशेष नजर बनाए हुए हैं देखना यह है कि आने वाले दिनों में भोजन थाली मेले का आयोजन होता है या फिर इस बार भी मेले को लेकर पूर्व की तरह तैयारियां धरी रह जाएंगी। वही दुसरी तरफ कामां कस्बे के लोग विधायक महोदय व प्रशासन से मेला लगवाने के लिए ज्ञापन भी सौंपा चुके।।।
अब देखना यह है कि कस्बे के लोगों की जनभावनाओं को देखते हुए शिक्षा मंत्री जाहिदा खान मेले लगवाने में सफल होती है या फिर समाजिक कार्यकर्ता विजय मिश्रा मेला लगवाने में सफल होते हैं।।
या फिर सामाजिक कार्यकर्ता विजय मिश्रा को हाईकोर्ट की लेनी पड़ेगी शरण।।।
कस्बे के लोगों की भोजन थाली मेला लगवाने में दिलचस्पी नजर आ रही है।। चाहे पूर्व की भांति ही मेला लगवाना क्यों न पड़े।।।