मकराना में फातिहा का एहतमाम कर शिक्षा पर दिया जोर
मकराना (मोहम्मद शहजाद)
शहर के झड़बेरा स्थित मकतब सुन्नी रजाकिया मस्जिद में अल्लामा यासीन अख्तर मिस्बाही का इंतकाल हो जाने पर फातिहा का एहतमाम किया गया। जिसमें बच्चों ने कुरान ए पाक, दुरूद ए पाक और कलीमा पढ़कर इसाले सवाब किया। मौलाना शाहरुख रज़वी ने उनकी जिंदगी पर रोशनी डालते हुए बताया कि वह अपने वक्त के रईसुल कलम थे। उन्होंने नौजवान नस्ल को लिखने के लिए उभारा और नए-नए कलमकार नौजवानों की शक्ल में हिंदुस्तान में पैदा किए। वह अपने वक्त के इतिहासकार थे। रईसुल कलम को इतिहासकार के रूप में जाना और पहचाना जाता है। उन्होंने अपनी जिंदगी में दिल्ली में रहते हुए एक इदारा दारुल कलम के नाम से कायम किया जहाँ से इल्म की रोशनी को पूरे भारत में फैलाया, उन्होंने किताबों भी लिखी। मौलाना शाहरुख ने शिक्षा पर जोर देते हुए कहा की इंसान को मां की गोद से लेकर कब्र की मंजिल तक शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। शिक्षा के बगैर जीवन अधूरा है। महफ़िल के आखिर में दुआ के साथ फातेहा लगाकर बच्चों में मिठाई तकसीम की गई।