ईश्वर का नाम ही हमारे काम का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए -वेदांताचार्य डॉ. ध्यानाराम
मकराना (नागौर, राजस्थान/ मोहम्मद शहजाद)। मकराना उपखण्ड के निकटवर्ती बोरावड़ कस्बे की करणी कॉलोनी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन वेदान्ताचार्य डॉ ध्यानाराम महाराज ने राजा परीक्षित जन्म, राजा परीक्षित शाप एवं महाभारत पर कथा सुनाई। कथावाचक वेदांताचार्य ने कहा कि द्रोपदी पर भगवान कृष्ण की विशेष कृपा थी। उन्होंने महाभारत में हर क्षण पांडवों पर विशेष कृपा बनाई और इसी का परिणाम हम सबके सामने हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत में सच्चाई का साथ देते हुए जिस तरह पांडवों को सही राय दिखाते हुए उन्हें हर क्षण हर पल का अहसास कराते हुए कौरवों की हर कूटनीति का जवाब देने के लिए सक्षम बनाया। भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत में अपना विराट रूप दिखाते हुए सभी को सच्चाई का दर्शन कराया। माता कुंती ने भगवान श्रीकृष्ण से दुख मांगा जब भगवान कृष्ण ने पूछा कि आप मुझसे दुख क्यों मांग रही हो, इसका क्या कारण है तब कुंती ने कहा कि श्रीकृष्ण में दुख इसलिए मांग रही हूं क्योंकि दुख के साथ हमेशा भगवान को याद किया जाता है और आप हमेशा दुखियों के साथ रहते हैं इसलिए मैं चाहती हूं कि आप हमेशा मेरे साथ रहे। इसके साथ हमेशा भगवान रहते हैं इसलिए मैंने दुख मांगा है। इसका सार यह है कि हमेशा आदमी को हर समय हर घड़ी में ईश्वर को याद करना चाहिए, वही सर्वोपरि है। कथावाचक वेदांताचार्य ने कहा कि हमें अपने हमेशा के काम की श्रेणी में ईश्वर का नाम लेने का भी संकल्प लेना चाहिए, जिस तरह हम प्रतिदिन अपने काम को करने के लिए तैयार और सजग रहते हैं, उसी तरह हमें ईश्वर का नाम लेने के लिए भी सजग रहना चाहिए। ईश्वर का नाम ही हमारे काम का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए, इससे हम बहुत दूर जा रहे हैं, हमारे काम की शुरुआत ईश्वर के नाम से ही होना चाहिए। हमें ईश्वर को याद करते हुए हर पल हर समय का उसे धन्यवाद देना चाहिए कि हम इस धरा पर स्वस्थ और संपन्न रहें। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।