अनुकरणीय: नयाबास में शतायु तीज़ादेवी की मृत्यु पर चार बेटों ने मृत्युभोज का बहिष्कार कर सरकारी स्कूल के विकास हेतु दान किए 2 लाख 11 हजार रुपए
नीमकाथाना (सीकर,राजस्थान) सामाजिक कुरीति के बहिष्कार के साथ ही इस कुरीति में संभावित धन को समाज के उत्थान के लिए खर्च करना सच्ची समाज सेवा होती है। यह सब कुछ किया है नयाबास गांव में 101 वर्षीय स्वर्गीय तीजा देवी पत्नी प्रभु दयाल के बेटों ने माताजी के बाहरवें के दिन मृत्युभोज की सामाजिक कुरीति का बहिष्कार करके शतायु माताजी की स्मृति में समाज की शिक्षा व्यवस्था के सुधार का संकल्प लेकर गांव की राजकीय स्कूल विकास हेतु 2 लाख 11 हजार रुपए नकद और गौसेवा के चारे के संकल्प को लेकर गौशाला में 11 हजार नकद राशि देकर अनुकरणीय पहल शुरू की। शतायु तीज़ा देवी के चार पुत्र अमर सिंह, सत्यदेव, दिनेश व श्रवण ने बताया कि मृत्युभोज एक सामाजिक बुराई है, जिसको समाज निरंतर रूढ़िवादी परंपरा को चलाए जा रहा है।
काफी दिनों से इस सामाजिक बुराई के उन्मूलन अभियान संचालित भी है किंतु खुद के घर से बंद केसे करें का विचार समस्या बना हुआ है। माताजी शतायु होकर देवलोक गमन होने पर घर में बैठकर मनन और चिंतन के बाद इस बुराई को हटा कर समाज को शिक्षित बनाकर उत्थान के कार्य का संकल्प लिया। माताजी की स्मृति में गांव की सरकारी स्कूल में गांव की भावी पीढ़ी को शिक्षित करने में योगदान का संकल्प लेकर कार्य किया वहीं गौसेवा श्रेष्ठ कर्म भी है, जिसको यथा योग्य सभी को करना चाहिए। समाज की कुरीति को मिटाकर नया अनुकरणीय कार्य करने पर परिवार के कार्य को सराहा गया। इस दौरान राजस्थान आदिवासी मीना सेवा संघ नीमकाथाना तहसील अध्यक्ष पूरणमल मीणा, सेवा संघ के जिला संयोजक शिवलाल (गुरारा), नयाबास गांव के चारों जमादार ग्यारसीलाल, पूर्व सरपंच देवीसहाय, डॉ. जगत सिंह, सुगनाराम, जिला पार्षद पीएस मीणा, उदयभान, गीगाराम, जिला उपाध्यक्ष दुर्गा, बाबूलाल, गोकुल चंद, श्रवण लाल, बाबू, नरेश कुमार समेत समाज एवं गांव के लोगो ने उल्लेखनीय व अनुकरणीय कार्य की प्रशंसा करके हरेक समाजबंधु से इस प्रकार के कार्य का संकल्प लिया।