खाटू श्यामजी मे पावन एकादशी पर्व का पट खुलते ही मची भगदड़ में 3 श्रद्धालुओं की मौत पर बोले मयंक जोशीला: ये हादसा नहीं हत्या है
खाटूश्याम (सीकर, राजस्थान) खाटूश्याम जी मे पावन एकादशी पर्व का पट खुलते ही तीन श्रद्धालुओं की हत्या के साथ हुआ आगाज । तीन श्रद्धालु पुलिस, प्रशासन एवं मन्दिर कमेटी की लापरवाही की भेंट चढ गये ।जिम्मेदार चाहे लाख पल्ला झाडे लेकिन हकीकत ये ही है की तीनों श्रद्धालु बदइंतजामों से लडते लडते प्रभू के चरणों मे लीन हो गये। जिम्मेदारी तो तय करनी होगी आज नही तो कल क्योंकि ये मेरा सांवरा आंख खोलकर भी देख रहा है तो बंद करके भी ? चूंकि बात करे मन्दिर की तो ये आज अभी निज हाथों मे है, सभी व्यवस्था व दान राशि पर मन्दिर कमेटी का तो अधिकार है ही फिर जिम्मेदारी अकेली प्रशासन को क्यों ? क्या ये सरकार जन निर्दोषों पर ही पल्ला झाड़कर इतिश्री कर लेगी या फिर इस हत्या के सभी जिम्मेदारो को सरकार एक नजर से देखेगी । क्या सारा दोष पुलिस व प्रसासनिक अधिकारियों पर इन सबकी इतिश्री कर लेना उचित होगा कब तक हम लोग पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों पर कार्रवाई कर इतिश्री कर लेंगे ।क्या कोरोना काल के बाद सरकार व क्षेत्रीय अधिकारी व नेता नही जानते थे की भीड लगातार बढ रही है फिर क्यों नही सरकार व स्थानीय प्रशासन नही हुआ अलर्ट ? आखिर अतिरिक्त जाब्ता क्यों नही किया गया तैनात ? जिला कलेक्टर सिर्फ आंखों पर पट्टी बांधने की कीमत वसूल कर अपने फर्ज की इतिश्री कर आराम फरमाते रहे । आपको ये भी जानना जरूरी है कि आखिर एसडीएम, डीएसपी, थाना प्रभारी, तहसीलदार क्या करते रहे ? क्या ये लोग आराम फरमा रहे थे जो कि इतना बड़ा हादसा हो गया और किसी को पता तक नही चला आखिर क्यों ? जब आप सबको ओट हैं कि आस्था बढेगी तो श्रद्धालु भी बढेंगे लेकिन बावजूद इसके प्रशासन व सरकार हाथ पर हाथ रखकर बैठी रही व इंतजार करती रही किसी दुखद घटना के घट जाने की क्योकि कोरोना काल के बाद श्रद्धालुओं की लगातार बढ़ रही थी वही सांख्या का आकलन कर तो प्रतिदिन लाखो में जा रही थी । अब आपको बता दें कि करोड़ो के अनुदान के बाद भी यदि अव्यवस्थाएं बरकरार है तो गलती किसकी ? क्योंकि यदि माना जाए तो भक्त उतावले थे लेकिन सब्र तो वो वीआईपी भी कर सकते थे जिन्हें मन्दिर कमेटी लाखों श्रद्धालुओं की आस्थाओं को कुचल गुप्त मार्ग से दर्शन करवाने की ठान रखी है फिर जनाब मन्दिर कमेटी के सेवादारों का व्यवहार अब अखरने भी लगा है। व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी प्रशासन, पुलिस एवं मन्दिर कमेटी की सामुहिक है लेकिन ठीकरा मात्र प्रशासन व पुलिस पर फोडना भी तो नाइंसाफी है क्योंकि मुख्यमंत्री महोदय आपके द्वारा अविलम्ब मृत श्रद्धालुओं को उचित मुआवजे की घोषणा कर दी गई लेकिन करोड़ो का चंदा डकार कर बैठी मन्दिर कमेटी भी मृत श्रद्धालुओं के परिजनों एवं घायलों को उचित सहायता राशि देकर अनुग्रहित करनी चाहिए । चलते चलते अब बात हो जाए श्याम प्रेमियों से । आप अपने आप को श्यामानुरागी कहते है जबकी आपका कृत्य इसकी गवाही नहीं देता है। श्याम प्रभु कण कण मे विद्यमान है। उनका स्थान निश्चित है। हम इतने निर्दयी कैसे हो गये की श्याम प्रभु को पाने की चाहत मे तीन श्रद्धाओं को ही कुचल बैठे। तीन श्रद्धालुओं की मौत पर खडा आस्था का महिमा मण्डन अखरता है। अनुशासन ही हमे श्रेष्ठ बनाता है। बाडाबंदी तो जानवरों को नियंत्रित करने के लिये होती है लेकिन आप मानव होकर भी संतुलित एवं संयमित नहीं हो पाये तो धिक्कार है आपके मानव जीवन पर लेकिन व्यथा बडी है तो समाधान भी तत्काल होने चाहिए । जिम्मेदारी तय कर आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज हो व जिम्मेदार अधिकारी के साथ साथ मंदिर कमेटी भी निलम्बित हो।