अभावों से उभर कर पैरालाइसिस से पीड़ित कृष्ण बिहारी सैनी ने रीट में चयन होने पर किया माता पिता का सपना साकार
पैरालाइसिस से पीड़ित कृष्ण बिहारी सैनी का रीट में चयन होने पर किया अभिनंदन अभावों से उभर कर बिहारी ने 27 साल की उम्र में किया माता पिता का सपना साकार चंंवरा के कृष्ण बिहारी सैनी की व्हील चेयर की जिंदगी युवाओं के लिए है प्रेरणादाई ... सुरेश मीणा किशोरपुरा कृष्ण बिहारी का कमाल 4 गोल्ड मेडल एक रजत पदक झारखंड से की स्पेशल बीएसटीसी
उदयपुरवाटी / चंंवरा / सुमेर सिंह राव
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। ऐसी ही एक मिसाल चंवरा के व्हींल चेयर पर चलने वाले पैरालाइसिस से पीड़ित कृष्ण बिहारी सैनी का रीट परीक्षा में तृतीय श्रेणी अध्यापक के पद पर चयन होना युवाओं के लिए प्रेरणादाई है। कल तक जिन माता - पिता को अपने अपाहिज बेटे के भविष्य की चिंता सता रही थी कि हमारे मरने के बाद यह बेटा किसके सहारे जिएगा। उसी माता-पिता का सीना आज गर्व से चौड़ा हो गया।
कृष्ण बिहारी सैनी का सातवीं कक्षा में अध्ययन के दौरान 13 वर्ष की आयु में शरीर में लकवा आ गया था । जिसके बाद पूरे शरीर ने काम करना बंद कर दिया था। माली हालत में कृष्ण बिहारी का जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में इलाज चला। ऑपरेशन भी हुआ जिसके बाद से कृष्ण बिहारी चलने फिरने में असमर्थ था तथा दूसरों के सहारे ही अपनी जिंदगी गुजर-बसर कर रहा था। कृष्ण बिहारी को जिंदगी से हताश होकर कई बार उन्हें भारी समस्याओं का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। इसी के साथ अपने दुख को समझकर दूसरे पीड़ितों की मदद करने की ठानी। सच्चाई यह है कि कृष्ण बिहारी द्वारा सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी रखने एवं फर्राटे से अधिकारियों से बात करने के कारण उसने अब तक करीब सैकड़ों लोगों की पेंशन, खाद्य सुरक्षा, पीएम आवास जैसी योजनाओं का लाभ दिलाया।
बिहारी कहते है कि सरकार की इतनी सारी जनकल्याणकारी योजनाएं हैं जिनसे कोई भी गरीब व्यक्ति फायदा लेकर अपना जीवन यापन कर सकता है । लेकिन जानकारी के अभाव में अंतिम छोर पर बैठा व्यक्ति भी इससे वंचित हो रहा है। उन्होंने कहा कि मैंने सरकार से ऐसी योजनाओं का लाभ उठाया है जो मुश्किल था। व्हींल चेयर पर बैठे-बैठे ही मैंने पीएम आवास बनवाया। पेंशन बनवाई स्कूटी प्राप्त की खाद्य सुरक्षा से जुड़ गया और अन्य बहुत सारे लाभ लिए। उन्होंने कहा अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए मैंने झारखंड से बीएसटीसी की डिग्री प्राप्त की। बिहारी ने दिव्यांग प्रतियोगिताओं में भाग लेकर कई जगह गोल्ड मैडल जीते व लाखों रुपए की इनाम भी प्राप्त की। बिहारी ने रीट परीक्षा में सफलता प्राप्त कर अध्यापक पद पर चयनित होने का मुकाम हासिल किया है।
बिहारी ने कहा कि अब मैं मेरे माता - पिता को चार धाम की यात्रा करवाऊंगा। अध्यापक पद पर चयनित सैनी ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता - पिता और अपने कोच महेश नेहरा को दिया है जिन्होंने हर संभव उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। सैनी का अध्यापक पद पर चयन होने के बाद पहली बार गुरुवार को उसका हौसला अफजाई करने के लिए आदिवासी मीणा सेवा संघ के प्रदेश प्रधान सुरेश मीणा किशोरपुरा के नेतृत्व में कई लोग उनके घर पहुंचे और उन्हें माला और मेडल पहनाकर मोमेंटो भेंट किया। किशोरपुरा ने कहा कि बिहारी से अन्य युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए कि एक कठिन परिस्थितियों में अभावों से उभर कर बिहारी ने यह मुकाम हासिल किया है । जो काबिले तारीफ है। वहीं सैनी ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है । जो व्यक्ति सोच सकता है वह कर सकता है। धरती के ऊपर ऐसा कोई कार्य नहीं है जिसको मानव नहीं कर सकता है। उन्होंने युवा शक्ति से अपील कर कहा कि धूम्रपान और शराब जैसे नशे की लत से हमेशा दूर रहें और अपने माता पिता के सपने को पूरा करने के लिए सब कुछ दांव पर लगा देना चाहिए। अंत में बिहारी के माता पिता का भी माला पहना कर सम्मान किया गया । सम्मान के इस मौके पर माता-पिता की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। इस दौरान कांग्रेस पीओसी राजेश खटाणा कि शोरपुरा, विकास सैनी, उमराव गुर्जर नेवरीसहित कई लोग उपस्थित रहे।