समलैंगिक विवाह के विरोध में उतरे अनेक समाज, राष्ट्रपति से हस्तक्षेप कर इसे मान्यता ना देने की मांग
नागौर (मोहम्मद शहजाद)
शहर के विभिन्न संगठनों सहित वैश्य सम्मेलन की महिला इकाई ने आज समलैंगिक व्यक्तियों के विवाह को विधि मान्यता न देने का आग्रह करते हुए इस पूरे प्रकरण में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की है। राष्ट्रपति के नाम प्रस्तुत ज्ञापन जिला कलेक्टर नागौर को सुपुर्द किया। ज्ञापन में बताया गया कि उच्चतम न्यायालय ने समलैंगिक व्यक्तियों के विवाह के अधिकार को विधि मान्यता देने की सुनवाई की तत्परता दिखाई है, उक्त तत्परता व आतुरता से विचलित होकर नागौर शहर के विभिन्न महिला संगठनों की मातृशक्ति ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर इस प्रकरण में हस्तक्षेप करने की मांग की है। ज्ञापन में वैश्य सम्मेलन की महिला इकाई की अध्यक्ष सुधा अग्रवाल, नीलू खडलोया, सुमन अग्रवाल, कविता, मंजू बंसल, नेहा संखलेचा, हेमा मालानी, हेमा भंडारी, पूजा अग्रवाल, संगीता डागा, पारुल जैन, अनिता बोथरा, शशि कानुगो, संतोष असावा एवं जिला अध्यक्ष दिलीप पित्ती आदि उपस्थित रहे
पुष्टिकर समाज ने भी भेजा ज्ञापन
पुष्टिकर पंचायत, नागौर द्वारा समलैंगिक व्यक्तियों के आपसी विवाह को कानूनी मान्यता ना देने की मांग करते हुए राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की है। मंगलवार को जिला कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल के नाम प्रेषित ज्ञापन प्रेषण की जानकारी देते हुए पुष्टिकर पंचायत उपाध्यक्ष शिव प्रकाश जोशी ने बताया कि अतिरिक्त जिला कलेक्टर मोहनलाल खटनावलिया को प्रेषित ज्ञापन में समलैंगिक व्यक्तियों के विवाह को मान्यता देने संबधित वाद में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा त्वरित सुनवाई चल रही है। मामले की सुनवाई में तत्परता, आतुरता आम जन मानस को विचलित कर रही, प्रकृति के साथ खिलवाड़ से भावी समाज़ का ताना बाना छिन्न-भिन्न हो सकता है। महान भारतीय धर्म, संस्कृति और परम्परा को पश्चिम के अंधानुकरण कर समाप्त नहीं किया जा सकता। विवाह एक संस्कार है, विवाह भावी पीढी का आधार है, जिसमें दो विपरीत लिंगो की ओर से प्रकृति रूप में संतानोत्पत्ति होती हैं। समलैंगिक विवाह में महज मनोरंजन के लिए समान लिगं विवाह कर ऐसे पवित्र सामाजिक नियमों में बदलाव का दूषित प्रयास करते है। विवाह जैसे पवित्र संस्कार व सामाजिक नियम में किसी प्रकार के बदलाव से सामाजिक व धार्मिक विधटन की आशंका है। समलैंगिक विवाह को यदि कानूनी मान्यता दी गई तो यह आने वाली पीढ़ी के लिए यह निर्णय नैतिक पतन की ओर धकेलने वाला सिध्द होगा। इस दौरान पुष्टिकर पंचायत के उपाध्यक्ष, सचिव देवेन्द्र राज कल्ला, सदस्य संजय कुमार व्यास, विजय व्यास, ओमप्रकाश मूथा, धनश्याम लाल आचार्य, ठाकुर दत व्यास, अनंत पुरोहित, सुनील बोहरा, नवरत्न जोशी, विवेक व्यास, नितिन पुरोहित, अरूण व्यास सहित समाज़ जन उपस्थित थे।