नीमकाथाना जाट छात्रावास में हुआ बैठक का आयोजन
नीमकाथाना (सुमेर सिंह राव)
सीकर जिले के नीमकाथाना में स्थित जाट छात्रावास में शनिवार को एक विशाल बैठक का आयोजन किया गया l जिसमें किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि सीकर की आठ विधानसभा क्षेत्रों में प्रवास करेंगे l न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी का कानून बनाएगा,उसी दल की सरकार बनाने के लिए एकजुटता के साथ प्राण-प्रण से सक्रिय समर्थन देगा । यह ऐतिहासिक समय होगा जब किसानों के लिए किसानों की समृद्धि के लिए किसानों के द्वारा सरकार बनाई जाएगी । वर्तमान समय में केंद्र में भाजपा एवं राजस्थान में कांग्रेस शासन कर रही है । दोनों ही दल न्यूनतम समर्थन मूल्यके संबंध में कानून बना सकते हैं ।
केंद्र सरकार राज्यसभा में संकल्प पारित कराने के उपरांत न्यूनतम समर्थन मूल्य पर देशभर के लिए कानून बनाने में सक्षम है। देश के प्रधानमंत्री ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने के संबंध में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपना मत व्यक्त किया हुआ है तथा केंद्र की समिति के अध्यक्ष के रूप में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की अनुशंसा की हुई है। इसी संबंध में प्रधानमंत्री की ओर से बनाई हुई समिति का विचार मंथन भी पूरा हो चुका है । देश की समृद्धि के लिए किसानों को घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य की सुनिश्चितता के लिए खरीद की गारंटी का कानून अपरिहार्य है । न्यूनतम मूल्य की सार्थकता के लिए इसी प्रकार की अनुशंसा भारत सरकार की संस्था कृषि लागत एवं मूल्य आयोग ने भी की हुई है।
इसमें 'न्यूनतम समर्थन मूल्य से ही आरंभ होगी नीलामी बोली' केन्द्र सरकार ने भी कृषि सुधारों के अन्तर्गत आदर्श कृषि एवम् पशुपालन [ सुविधा एवम सरलीकरण ] अधिनियम 2017 में प्रावधान किया हुआ हैं। राजस्थान की जीवन रेखा 'पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना' के लिए पिछले विधानसभा चुनाव के पूर्व प्रधानमंत्री ने सकारात्मक- सहानुभूतिपूर्वक विचार करने की सार्वजनिक सभाओं में घोषणा की थी। उसी घोषणा के अनुरूप उन्होंने वर्ष 2019 में केंद्र में जल शक्ति मंत्रालय की कमान राजस्थान को ही सौंप दी। जिनके हाथ में कमान आई उन्होंने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की क्रियान्वित में बाधा उत्पन्न करने के लिए राजनीति शुरू कर दी । जबकि इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर लागत की 90% राशि राज्य को संदाय करनी चाहिए थी। उसकी उल्टी दिशा में इसे स्वार्थपूर्ति का हथियार बना लिया। इसी प्रकार वर्ष 1994 के यमुना जल समझौते की पालना के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया। वहीं शारदा- साबरमती-यमुना लिंक परियोजना को उपतहसील अजीतगढ़ के समीप गढ़टकनेट तक लाने के संबंध में प्रयास ही आरंभ नहीं किया । राजस्थान में से अभी भी पानी बहकर पाकिस्तान को जा रहा है किंतु उसके उपयोग के संबंध में भी कोई गंभीरता नहीं दर्शाई गई। राजस्थान राज्य देश में सबसे बड़ा भू-भाग होते हुए भी उसके पास पानी की उपलब्धता 1% ही है, इसके लिए भी उनकी संवेदनशीलता जागृत नहीं हुई।
खेत को पानी और फसल को दाम मिलने के उपरांत किसान मांगने वाला नहीं रहेगा वरन् वह ऋण दाता बन जाएगा। देश में समृद्धि आ जाएगी तो हमारा देश विश्व में प्रथम स्थान पर स्थापित हो जाएगा।