त्रिस्तरीय व्यवस्था के महत्वपूर्ण अंग पंचायत समिति सदस्यों की समस्याओं का समाधान कराने व अधिकार प्राप्त करने के लिए मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन
भरतपुर (राजस्थान/ कौशलेंद्र दत्तात्रेय) राजस्थान पंचायती राज संस्थाओं का संस्थापक राज्य है। तथा यहां की पंचायती राज संस्थाएं बहुत सशक्त है लेकिन त्रिस्तरीय व्यवस्था के महत्वपूर्ण अंग पंचायत समिति सदस्य का निर्वाचन तो 5 वर्ष के लिए होता है लेकिन उसका प्रधान के मतदान के उपरांत महत्व व औचित्य शून्य हो जाता है ।प्रदेश के पंचायत समिति के हजारों सदस्यों को अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास एवं मतदाताओं को किसी भी प्रकार की सुविधाएं प्रदान करने का अधिकार भी नहीं है। पंचायत समिति सदस्यों को किसी भी प्रकार के प्रशासनिक वित्तीय अधिकार मिले हुए नहीं हैं ।वह मात्र पंचायत समिति की साधारण सभा की कोरम पूर्ति करने के संसाधन मात्र होते हैं। और यह बैठक भी 6 माह में एक बार होती है जबकि पंचायत समिति सदस्य का निर्वाचन क्षेत्र सरपंच से भी बड़ा होता है इन समस्याओं व तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश के हजारों पंचायत समिति सदस्यों की जायज मांगों को ध्यान में रखते हुए पंचायत राज संस्थाओं के महत्वपूर्ण अंग पंचायत समिति सदस्यों को मजबूत करने का श्रम करें सरपंच प्रधान व जिला प्रमुख की भांति पंचायत समिति सदस्यों को भी प्रशासनिक अधिकार विभिन्न दस्तावेजों का सत्यापन, प्रमाणीकरण करने का अधिकार ,देने के लिए विभाग स्तर से प्रपत्र जारी किया जाए। अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए केंद्र व राज्यों से प्राप्त अनुदान एसएफसी टीएफसी व अन्य योजनाओं में से पंचायत सभी सदस्यों को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अपने निर्वाचन क्षेत्र में विकास करवाने हेतु निर्धारित अनुपात में राशि उपलब्ध करवाई जाए ।अपने वार्ड में पंचायत समिति मद से विकास कार्य स्वीकृत करवाने के लिए संबंधित ग्राम पंचायत के सरपंच द्वारा प्रपत्र पांच दिए जाने की अनिवार्यता को हटाया जाए ।इसकी जगह पंचायत समिति सदस्यों से प्रपत्र पांच लिए जाने की स्वीकृति जारी की जाए ।स्वायत्तशाषी संस्थाओं शहरी निकायों के पार्षदों व पंचायत राज संस्थाओं के प्रधान ,जिला प्रमुख,व सरपंच की भांति पंचायत समिति सदस्यों को भी मासिक मानदेय न्यूनतम 10,000 स्वीकृत किए जाएं । पंचायत समिति सदस्य के बार्ड में होने वाले प्रत्येक विकास कार्यों के पूर्णता , उपयोगिता प्रमाण पत्र यूसी,सीसी पर पंचायत समिति सदस्य के हस्ताक्षर अनिवार्य किया जाए। पंचायत समिति सदस्य के निर्वाचन क्षेत्र में आने वाली पंचायत की कोरम बैठकों में लिए जाने वाले निर्णयों पट्टा पत्रावली, अतिक्रमण आदि मुद्दों में कोरम के साथ विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किए जाने को लेकर विभाग से प्रपत्र जारी करवाएं। वार्ड क्षेत्र में होने वाले प्रत्येक विकास कार्य की शिलालेख पट्टिका पर पंचायत समिति सदस्य का नाम लिखे जाने को लेकर विभाग से परिपत्र जारी किया जाए । पंचायत समिति सदस्य के वार्ड में पंचायत समिति से स्वीकृत विकास कार्यों में सदस्य की अनुशंसा अनिवार्य की जाए। सदस्य के निर्वाचन क्षेत्र में आने वाली पंचायतों के विकास कार्यों की प्रशासनिक स्वीकृति, वित्तीय स्वीकृति आदि का प्रगति विवरण एमपीआर उपलब्ध करवाने के दिशा निर्देश जारी करें ।पंचायत समिति एवं ग्राम पंचायत मुख्यालय की दीवारों पर सदस्य का नाम एवं नंबर लिखा जाए । पंचायत समिति सदस्य के आवास पर नाम एवं पद लिखा स्टील का बोर्ड लगाया जाए। अगर सरकार इन व्यवस्था में सुधार करने में असमर्थ है तो इस अनुपयोगी को समाप्त कर 1995 से पहले की प्रक्रिया से प्रधान के चुनाव संपन्न करवाए जाएं। ज्ञापन पर दरोगा प्रसाद, ओमवती, जागृति, सुमन कुमारी ,विक्रम सिंह, रीना देवी, संजय कुमार, समय सिंह जाटव ,ललितेश कुमारी ,सरस्वती, हरि बलराम आदि पंचायत समिति सदस्यों के हस्ताक्षर मौजूद थे