सोखते गड्ढों के नाम पर की गई खानापूर्ति: प्रशासन की अनदेखी के कारण लुहासा का आरओ प्लांट क्षतिग्रस्त
बस्ती का दूषित पानी नालियों द्वारा आरओ प्लांट के चारों ओर इकट्ठा होने से ग्रामीण परेशान
वैर (भरतपुर, राजस्थान/ कौशलेंद्र दत्तात्रेय) वैर उपखंड के गांव लुहासा में कुआ व बोरबेलों के पानी मे फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने की बजह से सरकार के द्वारा ग्रामीणों को पीने के लिए मीठा पानी उपलब्ध कराने हेतु आरओ प्लांट लगाने से ग्रामीणों को मीठा पानी तो उपलब्ध हो गया । लेकिन इस आरओ प्लांट के चारों तरफ बस्ती का दूषित पानी नालियों द्वारा इकट्ठा हो जाने के कारण आरओ प्लांट क्षति ग्रस्त होते जा रहा है,वहीं आरओ से पानी भरने वाले लोगों को गन्दे व बदबूदार पानी से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिस जगह से आम लोग पानी भरते हैं वहां दूषित पानी एकत्रित हो जाने से पानी भरने वाले महिला व पुरुषों को काफ़ी समय तक गंदे पानी में ही खड़ा होना पड़ता है । जिससे लोगों में प्रशासन के खिलाफ भारी आक्रोश व्याप्त है। लोगों का कहना है कि ग्रामीणों को मीठा पानी पीने के लिए सरकार के द्वारा आरओ प्लांट लगाया गया था । लेकिन बस्ती के कुछ दबंग लोगों ने अपने घरों के शौचालयों व बाथरूमों से निकलने वाला दूषित पानी नालियों के द्वारा आरओ प्लांट की तरफ दे रखा है।
जिससे घरों का गंदा व बदबूदार पानी आरओ के चारों तरफ व मुख्य गेट पर भरा रहता है जिससे आरओ प्लांट से पानी भरने वाले लोगों को घातक बीमारी पैदा होने का भय व्याप्त है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस गंभीर समस्या को लेकर ग्रामीण कई बार स्थानीय प्रशासन व जन प्रतिनिधियों से लिखित व मौखिक रूप से गुहार लगा चुके हैं लेकिन प्रशासन के द्वारा इस गंभीर समस्या का अभी तक कोई समाधान नहीं हो पाया है। वहीं ग्रामीणों ने पंचायत प्रशासन पर आरोप लगाया कि सरकार की स्वच्छ भारत मिशन ( ग्रामीण)योजना के अंतर्गत ओडीएफ प्लस कार्य के द्वारा गांव में सोखता गड्डे बनवाये गए थे जो कि पंचायत प्रशासन के द्वारा सोखता गड्ढों के नाम पर खाना पूर्ति कर दी गई है । उपखंड के गांव लुहासा में सोखता गड्ढों का कार्य ग्राम पंचायत के सरपंच व बार्ड पंचों की देखरेख में किया गया था लेकिन सरपंच व बार्ड पंचों के द्वारा मिली भगत से ये सोखता गड्डे उच्च क्वालिटी की गिट्टी सीमेंट का उपयोग ना करके घटिया सामग्री से व अनावश्यक जगहों पर बनवा दिये गए हैं । जिनको उपयोग में नहीं लिया जा रहा है।