पालिका प्रशासन सोया कुंभकर्णी नींद: हलक तर करने को नसीब नहीं हो रहा पानी, तरस रहे मूक मवेशी
तखतगढ (पाली, राजस्थान/ बरकत खान) नगर के पालिका क्षेत्र में इन दिनो पानी को लेकर त्राही त्राही मची हुई है, स्थानीय पालिका प्रशासन कुंभकर्णी नींद में सोया हुआ है। तखतगढ पालिका क्षेत्र के विभिन्न मौहल्लो से नगरवासियो को तो गर्मी के मौसम से ही पेयजल की समस्याओ से संघर्ष करना पड रहा है, नगरीय क्षेत्र में वर्षो से अगल-अलग मौहल्लो में पेयजल आपूर्ति एकान्तरे सुनिश्चित कर रखी है। लेकिन जिस दिन जिस मौहल्ले में पेयजल बाराबंदी होती है उस दिन लोग भले ही नलो पर टकटकी लगाए बैठे नलो से बुंद तक पानी नही टपकता है, लोग इंतजार करते रह जाते है। पालिका तखतगढ के वार्षिक बजट में नगरीय पेयजल व्यवस्थाओ के नाम अलग- अलग टेंडरो में लगभग 78 लाख रुपये का बजट निर्धारण कर रखा है। लेकिन इतनी भारीभरकम राशि व्यय करने के बावजूद भी नगर की पेयजल समस्या जस की तस बनी रहती है।
नगरीय क्षेत्र में बनाए पशुओ के अवाळे रहते है खाली
दरअसल तखतगढ नगर एक कृषि प्रधान नगर माना जाता है, यहाँ के लोगो के आजीविका का मुख्य स्त्रोत कृषि एवं सहायक कार्य पशुपालन है। खेती किसानी के साथ आमतौर पर लोग गाय, भैस, बकरी पालन पर निर्भर है। लेकिन इन दिनो पशु भी लोगो के गले की घंटी बनी हुई है, पशुओ के हलक तर करने के लिए सबसे गंभीर समस्या बन चुकी है, नलो से पानी नही आ रहा है एवं नगरीय क्षेत्र में पालिका प्रशासन द्वारा बनवाए अवाळे पिछले लम्बे समय से सुखे ही पडे है। पालिका कर्मियो को बार-बार कहने पर एक ही जवाब मिलता है कि पालिका के साधन खराब है जब भी ठिक होंगे तो टेंकरो के माध्यम से अवाळो में पानी डाला जायेगा।
पालिकाध्यक्ष द्वारा खरीदे लाखो रुपयो के कुंड सात आठ माह से पडा है खाली
आपको बता दे कि जनवरी 2022 में पालिका बोर्ड का गठन हुआ था, पालिकाध्यक्ष ललित रांकावत ने पशु प्रेम जताते हुए आनन-फानन में लाखो रुपये खर्च कर सिमेटेंड कुंड खरीदे थे, कुछ दिनो तक उन कुंडो में जरुर पानी डाला गया, लेकिन बाद में लगभग सात आठ माह से एक बुंद तक पानी नही डाला गया, मुक पशु बिचारे उन कुंडो पर आकर मुहँ मारकर वापस जाने को मजबूर होते है। पालिका प्रशासन इन दिनो पुरी तरह से नगरीय क्षेत्र की समस्याओ के निदान करने में विफल हो चुका है। पालिका के चुने हुए जनप्रतिनिधी भी दबी आवाज पालिका बोर्ड की नाकामियो का जिक्र करते रहते है।