मौत के बाद पोस्टमार्टम में नियमों का अड़ंगा, सरकारी तंत्र के आगे मानवीय संवेदना का पतन, मृतक के परिजन बहाते हैं आंसू, शवों की बेकद्री के साथ लोग भी होते हैं परेशान
खैरथलअलवर ( हीरालाल भूरानी)
जीते जी तो हर व्यक्ति को किसी न किसी तरह से संघर्षरत रहना पड़ता ही है, लेकिन दुर्घटना में मौत के बाद भी मानव देह को धक्के खाने पड़ जाते हैं। ऐसा वाक्या गुरूवार को खैरथल सेटेलाइट चिकित्सालय में देखने को मिला। जहां खैरथल पुलिस की ओर से हरसोली के पास ट्रेन से कटे एक युवक का शव पोस्टमार्टम के लिए लाया गया, लेकिन खैरथल अस्पताल के चिकित्सकों ने नियमों का हवाला देते हुए पुलिस को पोस्टमार्टम करने से मना करते हुए घटना स्थल के चिकित्सकों से ही पोस्टमार्टम कराने को बोल दिया।
पुलिस के अनुसार मामला हरसोली का था लेकिन वहां अस्पताल में मोर्चरी की सुविधा नहीं है। मृतक के परिजन एवं उनके साथ आए दर्जनों लोगों ने काफी मान मनुहार की लेकिन बात नहीं बनने पर अंततः पुलिस को हरसोली से ही चिकित्सकों को बुलाकर शव का पोस्टमार्टम करवाया गया।
लोगों ने उठाए सवाल :
लोगों ने इस परिदृश्य पर कहा कि बड़ा सवाल यह है कि ग्रामीण क्षेत्र में मोर्चरी की सुविधा नहीं है तो इसका जिम्मेदार कौन है। एक थाने के अंडर कई गांव शामिल होते हैं। ऐसे में अगर किसी भी हादसे में मौत हो जाए तो क्या उसी गांव का डाक्टर आकर पोस्टमार्टम या एम एल सी करेगा। आखिर सरकारी तंत्र के आगे मानवीय संवेदना का पतन क्यों हो रहा है।
सरकारों की शिथिलता व हर विभाग के अपने - अपने कानून के आगे आम आदमी बेबस नजर आता है। ग्रामीण क्षेत्रों के विभिन्न थानों का काफी विस्तृत क्षेत्र है। मुख्य थाने जहां क्रियाशील है, वहां चिकित्सा सेवाओं के लिए सामान्यत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या उच्चतर संस्थान ही क्रियाशील है। इस प्रकार के थानों से जाहिराना तौर पर व्यक्ति विशेष की एम एल सी रिपोर्ट के लिए उन्ही संस्थानों सी एच सी व पी एच सी में लाया जाता है।जिसकी वजह से वहां मौजूद चिकित्सक का कार्यभार बढ़ जाता है। टालमटोल की स्थिति के कारण आमजन में चिकित्सा एवं पुलिस प्रशासन की छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, लेकिन दोनों विभाग अपनी - अपनी मजबूरी बता पल्ला झाड़ लेते हैं।
करते हैं आनाकानी :
इस संबंध में खैरथल पुलिस थानाधिकारी अंकेश कुमार का कहना है कि पुलिस थाना क्षेत्र बड़ा होने व घटना वाले स्थान पर मोर्चरी सुविधा नहीं होने की स्थिति में शवों को खैरथल सेटेलाइट चिकित्सालय की मोर्चरी में लाया जाता है , लेकिन यहां चिकित्सक आनाकानी करते हैं। जिससे पीड़ित पक्ष के साथ पुलिस का समय भी जाया होता है।