एक बार फिर पुलिस सिस्टम पर: लोगो की असुरक्षा व आरोपियों को बचाने का प्रयास
भीलवाड़ा (राजस्थान/ एडवोकेट ललित कुमार) मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट भीलवाड़ा ने पुलिस अधीक्षक को पुलिस थाना प्रताप नगर में तैनात सहायक उप निरीक्षक राजेंद्र पाल के खिलाफ अनुसंधान में अपनाए जा रहे हैं लापरवाही पूर्वक रवैये के संबंध में निर्देश जारी किए हैं। परिवादी नवल कुमार बिहारी द्वारा प्रस्तुत याचिका की सुनवाई के दौरान ललित कुमावत एवं मनीष नागोरी अधिवक्ता द्वारा दी गई दलील पर विचार करते हुए एक बार फिर कोर्ट ने पुलिस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए अनुसंधान अधिकारी द्वारा अनुसंधान में किसी प्रकार की रूचि नहीं दिखाई जाने के मामले को लीपापोती करने की टिप्पणी व्यक्त करते हुए अपनाए गए अनुसंधान अधिकारी के रवैया के संबंध में पुलिस अधिकारी को निर्देश दिए हैं।
आम आदमी न घर पर खुद को महफूज महसूस करें और न बाहर तो इसे क्या कहेंगे ? शहर भर में हो रही आपराधिक वारदातों से तो 'अपराधियों में भय, आमजन में विश्वास' के ध्येय के साथ काम करने वाली भीलवाड़ा पुलिस पर सांवरिया निशान लगता दिख रहा है । पुलिस जनता का विश्वास खोती जा रही है और अपराधी बेखौफ होकर हर दिन नई वारदात को अंजाम दे, पुलिस को खुली चुनौती दे रहे हैं। पिछले एक सप्ताह में भीलवाड़ा शहर में हुई वारदातें भी आमजन में सोच के इसी माहौल की ओर इशारा कर रही है और कोर्ट ने यह दूसरी बार अनुसंधान अधिकारी द्वारा बरती गई लापरवाही पूर्वक रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए फटकार लगाई है ।
भीलवाड़ा शहर वासियों में असुरक्षा का भाव पैदा होने लगा है। सवाल यह है कि आखिर भीलवाड़ा की पुलिस क्या कर रही है ? पुलिस तो आसानी से FIR तक दर्ज नहीं करती। चोरी, गुमशुदगी और लाखो रुपयों की ऑनलाइन ठगी के मामले में तो ऐसा आम हो गया है, जब पुलिस टालम टोल करती है । मामले में परिवादी नवल कुमार बिहारी के आरोपियों द्वारा ऑनलाइन शेयरों की खरीद-फरोख्त के दौरान लाखों रुपए गबन किए जाने के मामले में अनुसंधान अधिकारी लीपापोती करने में लगा हुआ है। ऐसे में असुरक्षा के भाव को लेकर पुलिस को आत्ममंथन करना चाहिए । अपने पुलिस सिस्टम की खामियों को चिन्हित कर उसे दूर करने की आवश्यकता है। पुलिस के साथ आमजन को सूचित व सतर्क रहने की भी जरूरत है। भीलवाड़ा पुलिस का भक्षक चेहरा फिर पूरे शहर को झकझोर गया है, जिस तरह 7 दिन में यह दूसरी बार अनुसंधान अधिकारी के द्वारा बरते गए लापरवाही पूर्वक रवैया से कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए पुलिस अधीक्षक को निर्देश जारी किए हैं। यह न केवल दुखद, बल्कि शर्मनाक भी है । बेशक, अब समय आ गया है लोग पुलिस सुधार के मुद्दे की गंभीरता को समझें और सरकारों से मांग करें। पुलिस सुधार पर लगातार बहस चलनी चाहिए ।लेकिन अब भीलवाड़ा शहर के जागरूक लोगों को ठान लेना चाहिए कि अत्याचार नहीं सहना है, अत्याचार के विरुद्ध बिल्कुल उसी तरह लड़ना है जैसे महात्मा गांधी लड़ते थे इस दिशा में बहुत जरूरी है, पुलिस सुधार।