राधाकिशन प्रजापत का जुनून और जज्बे को सलाम सरकारी विद्यालय को बना दिया स्मार्ट: स्कूल परिसर में 700 पौधे लगाए सामाजिक तत्वों ने उखाड़े फिर भी हार नहीं मानी

Jun 22, 2022 - 18:46
Jun 22, 2022 - 18:47
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राधाकिशन प्रजापत का जुनून और जज्बे को सलाम सरकारी विद्यालय को बना दिया स्मार्ट: स्कूल परिसर में 700 पौधे लगाए सामाजिक तत्वों ने उखाड़े फिर भी हार नहीं मानी

मेड़ता सिटी (नागौर, राजस्थान/ तेजाराम) कहते हैं जोश, जुनून और जज्बे से इंसान कुछ भी हासिल कर सकता है। मेहनत और दृढ़संकल्प दो ऐसी चीजे हैं जिसका कोई विकल्प नहीं होता है।फालकी गांव  निवासी राधाकिशन प्रजापत जो अभी डेगाना ब्लोक के इटावड़ा लाडखानी स्कूल में कार्यरत है जो अपनी चार साल मेहनत से चर्चा में है।
अध्यापक प्रजापत ने बताया कि जब मैंने 21जून 2018 को इस स्कूल में कार्यग्रहण किया तब इस स्कूल में कंटीली झाड़ियां ही झाड़ियां थी। गांव के लोग ही इस विद्या मंदिर की इन झाड़ियों में शौच जाते थे,दारू पीते थे।  हर समय गंदगी करते रहते।रसोई के,ऑफिस के गेट के सामने भी शौच कर देते। बरामदे और सब जगह शराब की बोतलें ही बोतलें पड़ी रहती थी। स्कूल आते ही कांच उठाने पड़ते थे।स्कूल में बिजली भी नसीब नहीं थी। न ही बच्चों के लिए पानी की व्यवस्था।पानी का होद था लेकिन साफ सफाई नहीं थी।

बच्चे घर से पानी की बोतलें लाते थे वो कुछ देर में खाली हो जाती थी फिर पानी लाने बच्चे अपने घर एक-एक किलोमीटर दूर तक जाते थे। मां सरस्वती के मंदिर की ऐसी हालत मुझसे देखी नहीं जाती थी। यहां पढाई का माहौल ही नहीं था।बच्चों के लिए कोई सुविधाएं नहीं थी। होद भी साफ सफाई करवाके भरवाया।बच्चों के लिए पानी खुद ही निकाल कर मटकियां भरता।

नकारात्मक माहौल दूर करने के लिए पौधे लगाकर कंटीली झाड़ियों से पौधे को सुरक्षित किया। लेकिन असामाजिक तत्व पौधे उखाड़ कर ले गए। बच्चों के अभिभावकों से बातचीत करता एसएमसी की मीटिंग बुलाता,सभी ग्रामवासियों का वाट्सएप ग्रुप बनाकर उनको स्कूल की समस्या के बारें में बताता। धीरे -धीरे कुछ लोग आने लगे।

दूसरे साल ग्रामीणों के सहयोग से झाड़ियां साफ करवाकर तीन बार में लगभग 700 पौधे लगाए लेकिन असामाजिक तत्व उन्हें भी उखाड़ कर ले गए।गांव के मंदिर से भी अनाउंसमेंट करवाता,गेट की दीवार पर चेतावनी भी लिखवाई, पड़ौस में रहने वाले बच्चों से भी ध्यान रखने के लिए कहता वो जिनका नाम बताते उनके घर उन्हें समझाने जाता। इस प्रकार अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ा। भामाशाहों से सौ-सौ रुपयों तक के लिए उनके घर जाता,समझाता इस प्रकार धीरे-धीरे भामाशाहों के सहयोग से स्कूल में लाइट लेकर चार पंखे लगवाए।

भामाशाह व ग्रामीणों के सहयोग से विद्यालय की पलटी तस्वीर, लगातार प्रयास से अब स्कूल में ये सुविधा

1.लाइट फीटिंग और पानी फीटिंग
.2.ऑफिस टेबल,कुर्सी।
3.साउंड सिस्टम।
4.आकर्षक कलर।
5.स्कूल का नाम लिखा बोर्ड।
6.पानी की बड़ी टंकी।
7.पानी की मोटर।
8.टोंटियाँ।
9.सीढ़ी।
10.झंडारोहण पॉल व नया झंडा।
11झंडारोहण स्टेज।
12.कुर्सियां।
13.मंच संचालन रैक/पॉडियम।
14.पार्क सा पौधरोपण।
15.फोटोकॉपी मय प्रिंटर मशीन।
16.लेपटॉप व अन्य आवश्यक वस्तुएं, सहित लगभग सभी सुविधाएं हैं...

यह सब आवश्यक वस्तुएं:- 100,200,500 आदि रुपये इकट्ठा करके की हैं... आप समझ सकते हैं इन सब आवश्यक वस्तुओं को लाने में मुझे कितने लोगों से बार-बार निवेदन करना पड़ा। लेकिन हतोत्साहित नहीं हुआ।दूसरी और असामाजिक लोग काम बिगाड़ने में लगे हुए थे।
और स्कूल के रुपये बचाने के लिए अधिकतर काम मैंने ही किये हैं चाहे पौधे लगाने के लिए गड्ढे खोदना हो या पौधों की बाड़ करनी हो, शौचालय,कमरों या होद की सफाई करनी हो या पौधों को हमेशा पानी पिलाना हो या पेंटिंग करनी हो।
छत की सफाई करनी हो या तार टूट गया तो ठीक करना,पानी मोटर मुश्किल से उठाती थी उसे चालू करना...मैदान की साफ सफाई करना आदि ऐसा कोई काम नहीं जो मैंने नहीं किया हो। स्कूल समय के अलावा भी काम करता,घर आने बाद भी लोगों से फोन पर बात करता, उन्हें समझाता।

यह सब काम मैंने अपने नाम के लिए नहीं किया था,मुझसे विद्या मंदिर की ऐसी हालत देखी नहीं जाती थी,पास में लेटरिंग पड़ी हैं तो हम बच्चों के कैसे पढा सकते हैं... बच्चों को भी खेल-खेल में सिखाना,उन्हें पढाई के साथ -साथ अन्य गतिविधियां भी करवाता ताकि बच्चे स्कूल आ सके,कुछ सीख सके।

शिक्षक ने स्कूल परिसर पर कर रखा अतिक्रमण हटाने की मांग

स्कूल परिसर पर अतिक्रमण हटाने के लिए भी पटवारी, सरपंच आदि को बुलाया चारदीवारी मरम्मत करवाने व अतिक्रमण हटाने के लिए कई बार प्रस्ताव व शिकायत पंचायत, तहसील व कलेक्टर लेवल तक पहुंचा चुक हूं। विधायक को स्कूल में बुलवाकर स्कूल की समस्याओं के बारें में भी अवगत करवाया।स्कूल क्रमोन्नति के लिए भी प्रस्ताव भेजे।

प्रजापत ने बताया कि जब मै स्कूल में आया तब 20-22 बच्चे का नामांकन था।  मेरे आने के बाद लोगों को समझाकर 60से अधिक नामांकन किया।इस बार 84 बच्चों का  नामांकन हो गया। जिससे तीसरी पोस्ट बढ गयी अब हम तीन शिक्षक हो गये।
जो अधूरे काम हैं वो भी पंचायत व विधायक के सहयोग के बिना संभव नहीं हैं । मरम्मत करवाने, अतिक्रमण सहित विद्यालय के विकास में सहयोग करना चाहिए।

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