सिन्धी भाषा दिवस मनाया
खैरथल, अलवर (हीरालाल भूरानी)
हर वर्ष 10 अप्रैल को सोशल मीडिया पर सिंधी भाषा दिवस की बधाईयों और शुभकामनाओं का आदान-प्रदान होता है, परन्तु बहुत ही कम सिंधी समाज वालों को यह मालूम होगा कि सिंधी भाषा दिवस क्यों मनाया जाता है और 10 अप्रैल को ही क्यों मनाया जाता है।
पूज्य सिंधी पंचायत खैरथल के वरिष्ठ प्रवक्ता एवं पत्रकार हीरालाल भूरानी एवं सोशल मीडिया ब्लागर पत्रकार प्रमोद केवलानी ने संयुक्त रूप से बताया कि इसके पीछे की कहानी इस प्रकार है। सन् 1947 में भारत की आज़ादी और भारत पाकिस्तान के विभाजन के पूर्व के भारतीय संविधान में 13 भाषाओं को स्थान दिया गया था किन्तु भारत पाकिस्तान के विभाजन के बाद के भारत के संविधान में 14 भाषाओं को स्थान दिया गया परन्तु इन 14 भाषाओं में सिंधी भाषा नहीं थी।
सिंधी समाज के अग्रज, विद्वान, स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी, शिक्षाविद, देश सेवा और समाज सेवा के लिए समर्पित, सिंधी समाज के अमूल्य रत्न डाक्टर जयराम दास दौलत राम के अथक प्रयासों के बाद, आजादी के बीस वर्षों के बाद दिनांक 10 अप्रैल 1967 को भगवान श्री झूलेलाल जी के जन्म दिन, चेट्री चंड के पुनीत अवसर वाले दिन, सिंधी भाषा को भारतीय संविधान में शामिल किए जाने के बिल पर तत्कालीन राष्ट्रपति डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के हस्ताक्षर किए जाने के बाद, भारतीय संविधान में सिंधी भाषा को शामिल किया गया था। सिंधी भाषा के विकास के लिए सिंधी समाज के सभी प्राणियों को, विशेष रूप से आजकल की नवजवान पीढ़ी को, दादा जयराम दास दौलत राम जी के अथक प्रयासों के बाद मिली इस उपलब्धि को बरकरार रखने के लिए सिंधी समाज के प्रत्येक व्यक्ति को यह शपथ लेनी चाहिए -
अजु॒ खां मां पहिंजे परिवार जे सभिनि भातियुनि सां, सिंधी समाज जे हर हिक प्राणीअ सां, पहिंजे सिंधी दोस्तनि सां, मिट-माइटनि सां सिंधी भाषा में ही गा॒ल्हाइंदुम ऐं सिंधी भाषा जे वाधारे लाइ तन-मन-धन सां कोशिशूं बि कंदुमु
हिन सां गडो॒गडु॒ हेठि लिखियल सिटां बि यादि कयो-
सिंधी आहियां,
सिंधी रहंदुसि,
सिंधी मुहिंजी बो॒ली,
कीअं विसारियां तहिंखे,
जंहिं में माउ डि॒नी आ लोली