गोविन्दगढ़ क्षेत्र में गंभीर रूप धारण कर रहा सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों का धंधा
गोविन्दगढ़ क्षेत्र के स्थानीय नागरिकों का कहना है कि प्रभावशाली एवं दबंग व्यक्तियों, निर्माणकर्ताओं आदि द्वारा कहीं राजनैतिक संरक्षण प्राप्त कर कहीं स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से न केवल शासकीय भूमियों, बल्कि विभिन्न धार्मिक संस्थाओं एवं लावारिस सम्पत्तियों, गरीब निर्बल एवं कमजोर व्यक्तियों की निजी भूमियों पर भी अवैध कब्जा कर लिया जाता है।
गोविन्दगढ़, अलवर(अमित खेड़ापति)
गोविंदगढ़ तहसील क्षेत्र में भूमाफियाओं की दबंगई इस कदर बढ़ गई है कि अब वह सरकारी भूमि पर कब्जा कर निर्माण करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं हालात यह है कि आमजन की शिकायत के बाद भी निर्माण कार्य बंद होते ही नजर नहीं आ रहे । भूमाफिया कृषि भूमि को बिना कन्वर्जन के ही लगातार बेचान कर सरकार को राजस्व का चूना तक लगा रहे वही अधिकारी भी राजनीतिक दबाव के चलते बोलने में असमर्थ नजर आ रहे हैं । क्षेत्रीय लोगों के द्वारा 181 एवं अधिकारियों को लिखित में शिकायत देने के बाद भी निर्माण बदस्तूर जारी होने के कारण प्रशासन की सक्रियता पर प्रश्नवाचक चिन्ह लगाए जा रहे हैं क्योंकि जब सरकारी भूमि पर ही कब्जे हो रहे हो तो किस प्रकार सरकार एवं प्रशासन आम लोगों की भूमियों की रक्षा कर पाएगी
प्रदेश में सरकारी संपत्तियों पर अवैध कब्जा करने की शिकायतें शासन एवं प्रशासन स्तर पर प्राप्त होती रहती है। इन प्रकरणों में समयबद्ध रूप से प्रभावी कार्यवाही न होने के कारण जहां जनमानस में शासन / प्रशासन के प्रति विश्वास में कमी आती है, वही भू-माफियाओं द्वारा अवैध कब्जा करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता है। जबकि सरकार का संकल्प है कि ग्राम पंचायत / सार्वजनिक भूमि से अतिक्रमण हटाकर दबंगों और भूमाफियाओं के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही की जाये और दोषियों को सजा दिलायी जाये।
गोविन्दगढ़ क्षेत्र के स्थानीय नागरिकों का कहना है कि प्रभावशाली एवं दबंग व्यक्तियों, निर्माणकर्ताओं आदि द्वारा कहीं राजनैतिक संरक्षण प्राप्त कर कहीं स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से न केवल शासकीय भूमियों, बल्कि विभिन्न धार्मिक संस्थाओं एवं लावारिस सम्पत्तियों, गरीब निर्बल एवं कमजोर व्यक्तियों की निजी भूमियों पर भी अवैध कब्जा कर लिया जाता है। यही नहीं ग्राम पंचायत की भूमि का विकास के नाम पर कब्जा कर स्वयं का विकास करते हुए नजर आ रहे हैं
रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र के गोविंदगढ़ तहसील की ग्राम पंचायतों की भूमियों पर भूमाफिया के द्वारा कब्जा कर निर्माण लगातार हो रहे हैं और वही ग्राम पंचायत अपनी संपत्ति को संरक्षित करने में असहाय महसूस कर रही है यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि ग्राम पंचायत की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है क्योंकि जिसके जिम्मे में क्षेत्रीय विकास निहित है वह स्वयं की भूमि की रक्षा नहीं कर पा रही तथा वे ऐसे दबंग व्यक्तियों का विरोध करने का साहस नहीं जुटा पाते हैं।
अतः कब्जा की गयी संपत्तियों को चिन्हित कर भू-माफियाओं के विरूद्ध योजनाबद्ध तरीके से पूरी क्षमता के साथ कार्यवाही किये जाने की आवश्यकता है, जिससे वह हतोत्साहित हो तथा आम आदमी अपनी सम्पत्ति को संरक्षित रखते में असहाय महसूस न करें।
सरकारी सम्पत्ति पर कब्जा करने वाले भूमाफियाओं के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही के निर्देश
प्रदेश में ग्राम सभाओं की भूमि यथा तालाब, पोखर चारागाह, कब्रिस्तान, श्मशान, कुआ तथा अन्य सरकारी / अर्द्धसरकारी निकाय, प्राधिकरण, उपक्रम की भूमियों पर से अवैध कब्जा / अतिक्रमण हटाने के सम्बन्ध में तत्काल कार्यवाही किये जाने के सरकार के दिशा निर्देश दिये गये है। लेकिन यहां तो जलभराव क्षेत्र पर ही ग्राम पंचायत के द्वारा पट्टे तक जारी कर दिए गए
ग्राम पंचायत व सार्वजनिक भूमि / सम्पत्ति से राजस्व कर्मियों द्वारा पुलिस के सहयोग से अतिक्रमण हटाया जाता है, परन्तु उसके कुछ समय बाद ही गाँव के दबंगों और भूमाफियाओं द्वारा पुनः उस भूमि पर कब्जा कर लिया जाता है, जिससे राज्य सरकार ग्राम पंचायत अथवा स्थानीय प्राधिकारी की भूमियों / परिसम्पत्तियों का दुरूपयोग होता है। अतिक्रमण पुराने हो जाने पर इन भूमियों / परिसम्पत्तियों से अतिक्रमण हटाना प्रशासन के लिये चुनौतीपूर्ण कार्य हो जाता है व प्रायः अतिक्रमण हटाने में कानून व्यवस्था की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है।
अतिक्रमण के खिलाफ ठोस कार्यवाही की आवश्यकता
अतिक्रमण हटाने के साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि अतिक्रमण हटाने सम्बन्धी समस्त कार्यवाही विधिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए इस प्रकार की जाये कि उसमें विधिक त्रुटि न रहे और पुनः अतिक्रमण की सम्भावना भी न्यूनतम हो जाये, व साथ ही पुनः अतिक्रमण किये जाने की स्थिति में अतिक्रमणकर्ता के विरूद्ध कठोर दण्डात्मक कार्यवाही भी सम्भव हो सके।