जो फल तपस्या-योग से नही मिलता वह फल कलियुग में भगवान की कथा से मिलता जाता है - पाराशर
डीग (भरतपुर,राजस्थान/ पदम जैन) ज्ञान,भक्ति,वैराग्य ही श्री मद्भागवत कथा है,इसलिए मनुष्य को अपने जीवन में भागवत कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए यह बात कस्बे के ऐतिहासिक लक्ष्मण मंदिर पर आयोजित श्री मद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दौरान भागवत प्रवक्ता पंडित मुरारी लाल पाराशर ने कहे।उन्होने कहा कि जो फल तपस्या,योग से नही मिलता वह फल कलियुग में भागवत कथा से मिल जाता है। उन्होंने कहा कि जब तक मन में शान्ति नही है तब तक भगवान की भक्ति नही की जा सकती है। इसलिए भक्त कहते है कि मेरा मन सिर्फ भगवान के चरणों में रहे।
पाराशर ने कहा कि धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष चार पुरुषार्थ होते है। धर्म भरत जी, अर्थ शत्रुधन जी ,काम अर्थात सेवा लक्ष्मण जी, एवं मोक्ष भगवान राम है।
व्यास पीठ पर विराजमान पाराशर ने कहा कि जीव धर्म के रास्ते से भगवान से सीधा मिल सकता है।जैसे भरत जी भगवान राम से सीधे मिलने जाते थे।काम अर्थात सेवा लक्ष्मण जी सेवा के माध्यम से सीधे भगवान के करीब रहते थे।पर अर्थ को धन दोलत का अर्थ है शत्रुधन जी वह कभी भी सीधे रामजी से मिलने नहीं पहुंचे, वह भरत जी या लक्ष्मण जी के साथ मिलने जाते थे।इसका मतलब यह है कि यदि अर्थ के अनुसार भगवान से मिलना चाहते हैं।तो अर्थ को धर्म या सेवा के साथ जुड़ जाना चाहिए। जिस प्रकार शत्रुधन जी भरत जी से जुड़कर श्री राम जी से मिलने जाते थे।कथा के दौरान वेद व्यास ,पाराशर ऋषि ,नारद जी ,ब्रह्मा जी के चार मानस पुत्रों की कथा भी सुनाई गई।