पुरातत्व विभाग की अनदेखी के कारण अपना अस्तित्व खो रही वैर की ऐतिहासिक धरोहरें

Nov 10, 2022 - 03:53
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पुरातत्व विभाग की अनदेखी के कारण अपना अस्तित्व खो रही वैर की ऐतिहासिक धरोहरें

वैर (भरतपुर, राजस्थान/ कौशलेंद्र दत्तात्रेय) उपखंड मुख्यालय कस्बा वैर स्थित 1726 शताब्दी में भरतपुर  रियासत कालीन जाट साम्राज्य महाराजा बदनसिंह के पुत्र सूरज मल के भाई प्रताप सिंह द्वारा प्रताप दुर्ग का निर्माण  करवाया था जो कि 1737 में बनकर पूर्ण हुआ था । इस दुर्ग के दो दरवाजे है जो कि भूमि से करीब 60 फुट ऊंचाई पर बने हुए हैं । जिनके लिए सीढियों के मध्य सपाट बना हुआ है ताकि रथ व  अन्य वाहन आसानी से निकल सके । दुर्ग के उत्तर दिशा के मुख्य दरवाजे की फर्श एक बर्ष पहले बरसात के दिनों में पानी से मिट्टी धसने से काफी गहरा गड्ढा हो गया था । एक बर्ष गुजर जाने के बाद भी प्रशासन व  पुरातत्व विभाग के द्वारा गड्डे की कोई सुध नहीं ली गई है । हालात ये होते जा रहे हैं कि गत वर्ष बने 2 फुट गहराई के इस गडढे में लगातार पानी जाने से अब करीब 25 फुट लंबाई तक के पत्थर धस गये हैं । एक तरफ की सीढ़ियों के नीचे सुरंगनुमा स्थिति बन गई है । और कई सीढियां क्षतिग्रस्त हो गई है। इन सीढियों व पत्थरों के निचे से मिट्टी बह जाने से किसी पर्यटक के साथ बड़ा हादसा घटित हो सकता है । पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को अवगत कराने के बाद भी कोई सुध नहीं ली जा रही है ।  
समाज सेवी बालचंद श्रोत्रिय ने बताया कि कस्बा वैर स्थित ऐतिहासिक धरोहरों की ओर वर्तमान  सरकार का बिल्कुल ध्यान आकर्षित नहीं है सरकार की अनदेखी की वजह से वैर की ऐतिहासिक धरोहरों का अस्तित्व कम होता जा रहा है। पूर्व वसुंधरा राजे सरकार ने इस दुर्ग की मरम्मत के लिए काफी पैसा दिया था। सरकारों के लिए कोई भी काम कठिन नहीं होता है । सरकार इस प्रताप दुर्ग को पर्यटन स्थल बनाये जाने का कार्य करवाये।देश विदेश के पर्यटकों के आने से यहां के लोगों को रोजगार भी मिलेगा ।  
 स्थानीय लोगों का कहना है कि इस दुर्ग में आज भी पर्यटकों के लिए दीवाने आम , राजा का महल ,  जाल का कुआ , बिलन्द महल , रानी का महल , ब्रज दूल्हे का मन्दिर तथा 18 फुट लंबाई की तोपें भी है । जो कि पर्यटकों के लिए विशेषतः दर्शनीय है । महल के खजाने से ही सुरंग के द्वारा भरतपुर के लिए रास्ता बना हुआ था 
प्रताप सिंह ने दुर्ग के पश्चिम दिशा की ओर सफेद महल व 20,-21 बीघा जमीन पर फुलवारी का निर्माण करवाया, जिसको देखने के लिए राजा रानी महल की सुरंग के द्वारा ही जाते थे । 
वहीं गढ़ वाले हनुमान जी के दर्शन करते थे तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने पर्यटकों के लिए एक रूट चार्ज बनाया था जोकि पर्यटक आगरा ताजमहल को देखकर , दरगाह किला , भरतपुर का किला, बन्ध बारैठा, बयाना का किला, वैर का प्रताप दुर्ग व सफेद महल को देखकर जयपुर निकल सकें  ।

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