पंचायत ने नहीं ली सुध, ना ही पेंशन और ना ही इंदिरा आवास का लाभ, बेटी के हाथ पीले करने की चिंता मे डूबा बेबस बाप
किशोरपुरा के कैलाश मेघवाल की कहानी मार्मिक पिक्चर एक फूल दो माली से कम नहीं है लाचार बेबस दीन हीन को इस समय सरकार एवं भामाशाहों से मदद की दरकार पति पत्नी 5 साल से खाट पर, खाने के लाले पड़े दाने-दाने को मोहताज, फूटी कौड़ी पास में नहीं जयपुर का भाड़ा नहीं इलाज तो दूर की बात
उदयपुरवाटी ,सुमेर सिंह राव
उपखंड क्षेत्र के गुढ़ा गोड़जी तहसील के किशोरपुरा गांव के कैलाश मेघवाल की कहानी 1969 में बनी मार्मिक पिक्चर एक फूल दो माली से कम नहीं है। 19 वें दशक में आई फिल्म में तो एक पति - पत्नी अपने बच्चों का पेट पालने के लिए घर-घर एक गाना गुनगुनाते हैं भूखे गरीब की यही दुआ है औलाद वालों फूलों फलो पर उस पिक्चर में यह पति-पत्नी रोगी नहीं स्वस्थ होते हैं। लेकिन किशोरपुरा गांव के कैलाश और उसकी पत्नी को अपने भूखे बच्चों को साथ लेकर कहीं जा भी नहीं सकते क्योंकि दोनों पति पत्नी के मात्र 52 साल की उम्र में हाथ पैर जवाब दे चुके हैं आइए इस परिवार की दर्द भरी दास्तां से आपको भी अवगत करवाते हैं। कैलाश मेघवाल की पत्नी पिछले लंबे समय से लकवे से पीड़ित है। जगह-जगह इलाज करवाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जैसे तैसे कैलाश अपनी पत्नी का इलाज करवा रहा था लेकिन कुछ समय पहले उसे भी पूरे शरीर में लकवा मार गया। उसके बाद तो परिवार को खाने तक के लाले पड़ गए।
आदिवासी मीणा सेवा संघ के प्रदेश प्रधान सुरेश मीणा किशोरपुरा, हमारे उदयपुरवाटी संवाददाता सुमेर सिंह राव ,जेपी मेंहरानियां व ग्रामीण मीडिया झुंझुनू के प्रधान संपादक किशोरी कुमार पीड़ित दंपति के घर किशोरपुरा पहुंचे। कैलाश ने बताया कि मेरे पास फूटी कौड़ी भी नहीं है दाने-दाने को मोहताज हो रहा हूं इलाज करवाना तो दूर की बात है मेरे पास तो जयपुर का भाड़ा भी नहीं है। मुझे बेटी के हाथ पीले करने की भी चिंता सता रही है। मुझे सरकार द्वारा कोई सहायता नहीं मिली है। ना ही पेंशन मिली है और ना ही इंदिरा आवास का लाभ मिला है। मेघवाल के पास अब कुछ भी नहीं बचा है, बची है तो सरकार और भामाशाहों से मदद की आस। इसके मद्देनजर पिछले 2 दिन से पत्रकारों की टीम ने इस परिवार की दास्तां दिखाकर लोगों से इस परिवार की सहायता के लिए आग्रह किया जा रहा है वह एक मुहिम चलाई जा रही है आप सभी लोग इस मुहिम का हिस्सा बनिए और इस परिवार का सहारा बनिए।